रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात रंग लाई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस में हुई बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए मिलकर काम करने की सहमति बनी। इसके बाद गलवां घाटी और पूर्वी लद्दाख समेत चार क्षेत्रों से सैनिक पीछे हट गए हैं। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दोनों सेनाएं चार क्षेत्रों में पीछे हट गईं हैं। सीमा पर स्थिति स्थिर है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के मौलिक और दीर्घकालिक हितों में है। यह क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए भी जरूरी है। रूस में हुई बैठक में दोनों देशों के प्रमुख सहमति को लागू करने, आपसी समझ और विश्वास बढ़ाने, निरंतर संचार बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए स्थितियां बनाने पर सहमत हुए।

चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक में वांग ने इस बात पर जोर दिया कि चीन और भारत को दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं और उभरते विकासशील देशों के रूप में स्वतंत्रता का पालन करना चाहिए। एक-दूसरे के बीच एकता और सहयोग अपनाकर उपभोग से बचना चाहिए। उम्मीद है कि दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण से अपने मतभेदों को ठीक से संभालेंगे। साथ ही एक-दूसरे के साथ आने का सही रास्ता ढूंढेंगे। स्वस्थ, स्थिर और सतत विकास के लिए चीन-भारत संबंधों को वापस पटरी पर लाएंगे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले क्षेत्रों में शांति के लिए तत्परता के साथ काम करने और अपने प्रयासों को दोगुना करने पर सहमत हुए। भारतीय एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी समकक्ष से कहा कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के साथ साथ एलएसी के प्रति सम्मान बरकरार रखा जाए। 

एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत-चीन सीमा विवाद निपटाने के लिए बने स्थाई प्रतिनिधि स्तर वार्ता तंत्र की भी अगुवाई करते हैं। हालांकि जून 2020 में हुए गलवां घाटी विवाद के बाद से इस तंत्र की बैठक केवल एक बार ही हो पाई है। हालांकि बहुपक्षीय बैठकों के मंच पर भारत के एनएसए और उनके चीनी समकक्ष कई बार मिलते रहे हैं। इससे पहले चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात एनएसए डोभाल से जुलाई 2023 और सितंबर 2022 में भी हुई थी। 

दोनों देशों के बीच सीमा तनाव का पारा गलवां घाटी में टकराव से बढ़ा था। जून 15, 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें एक कर्नल रैंक अधिकारी समेत भारत के 20 जांबाज शहीद हुए थे। लेकिन इससे कहीं ज्यादा नुकसान चीन को भी उठाना पड़ा था।  इसके बाद से भारत ने चीनी सेना की मोर्चाबंदी का उसी भाषा में जवाब देते हुए आमने-सामने की तैनाती कर दी थी। साथ ही कई स्तर पर सैन्य मोर्चाबंदी और हथियार तैनाती को भी बढ़ाया गया था। 

भारत और चीन के बीच 3088 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा में से 3500 किमी से अधिक का इलाका विवादित और अस्पष्ट है जिसको लेकर दोनों पक्षों के दावे हैं। सीमा विवाद सुलझाने को लेकर उच्च स्तरीय वार्ता के लिए सीनियर रिप्रजेंटेटिव डायलॉग की व्यवस्था है जिसमें भारत के मौजूदा प्रतिनिधि एनएसए अजीत डोभाल हैं और चीन का प्रतिनिधित्व वांग यी करते हैं। इस तंत्र की अब तक 22 बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन सीमा विवाद निपटारे के फिलहाल कही भी करीब नहीं है।