सुप्रीम कोर्ट ने आज डिजिटल अरेस्ट घोटाले के मामलों की जांच को लेकर सीबीआई को सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को पहले से सामने आए सभी मामलों की राष्ट्रीय स्तर पर जांच करनी होगी। कोर्ट ने विशेष रूप से विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में इस जांच की अनुमति देने का भी निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े मध्यस्थों को भी आदेश दिया कि वे डिजिटल अरेस्ट से जुड़े सभी विवरण और सहयोग सीबीआई को उपलब्ध कराएँ। अदालत ने कहा कि साइबर अपराधियों तक पहुंचने के लिए सीबीआई इंटरपोल की मदद ले सकती है, ताकि विदेशों में संचालित ठिकानों और टैक्स पनाहगाहों तक पहुँच संभव हो सके।

इस मामले में कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से भी सवाल किए और पूछा कि साइबर धोखाधड़ी में शामिल खातों को फ्रीज करने के लिए क्यों एआई या मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया कि टेलिकॉम कंपनियां किसी एक यूजर को एक से अधिक सिम कार्ड न दें। अदालत ने स्पष्ट किया कि कई सिम कार्ड उपलब्ध कराने से उनका उपयोग साइबर अपराध में किया जा सकता है।

यह कदम डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।