नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान दिया।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह याचिका की एक प्रति केंद्र सरकार के वकील को सौंपें। साथ ही न्यायालय ने वीसी भारती से भी याचिका पर ध्यान देने और अगली सुनवाई में कोर्ट की सहायता करने का अनुरोध किया। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की गई है।

यह याचिका थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि सरकार उन ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए, जो कथित तौर पर जुए और सट्टेबाजी के रूप में काम कर रहे हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), एनपीसीआई और यूपीआई प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया जाए कि वे अवैध और गैर-पंजीकृत गेमिंग ऐप्स से जुड़े लेन-देन को रोकें। CASC का आरोप है कि कुछ विदेशी कंपनियां भारत में ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार कर रही हैं और लगभग 2 लाख करोड़ रुपये के बकाया करों का भुगतान नहीं किया गया है। याचिका में इस संदर्भ में इंटरपोल, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की भी मांग की गई है।

साथ ही, याचिका में चार केंद्रीय मंत्रालय - केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना एवं प्रसारण, वित्त और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय और दो प्रमुख ऐप स्टोर संचालकों एप्पल इंक. और गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम, 2025 और राज्य स्तर के कानूनों की सामंजस्यपूर्ण व्याख्या की जाए।

इस अधिनियम का उद्देश्य ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़ी हानिकारक प्रथाओं पर रोक लगाना और सुरक्षित डिजिटल मनोरंजन को बढ़ावा देना है।