ढाई महीने के बाद खत्म हुआ इंतजार, रेलवे बोर्ड ने की 23 नए मंडल रेल प्रबंधकों की नियुक्ति

रेलवे बोर्ड ने करीब ढाई महीने के इंतजार के बाद 23 मंडल रेल प्रबंधकों की नियुक्ति की। ये नियुक्तियां गुरुवार से प्रभावी हुईं। मंडल रेल प्रबंधकों (डीआरएम) का काम किसी एक रेल मंडल की जिम्मेदारी देखना होता है। डीआरएम का कार्यकाल आमतौर पर दो साल का होता है, जिसके बाद उन्हें क्षेत्रीय मुख्यालय में किसी समकक्ष या पदोन्नति वाले पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। 

बोर्ड ने संबंधित जोनों के महाप्रबंधकों को 23 अलग-अलग आदेश जारी किए हैं और उन्हें मौजूदा मंडल रेल प्रबंधकों के स्थान पर नए मंडल रेल प्रबंधकों की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी है। रेलवे बोर्ड ने जिन 23 मंडल रेल प्रबंधकों की नियुक्तियां विभिन्न रेलवे जोन में की हैं, उनमें शामिल हैं-  

  • पश्चिम-मध्य रेलवे में कोटा और जबलपुर।
  • उत्तर-पश्चिम रेलवे में अजमेर।
  • पश्चिम रेलवे में रतलाम और मुंबई (बीसीटी)।
  • दक्षिण पश्चिम रेलवे में हुबली।
  • मध्य रेलवे में सीएसटीएम, सोलापुर, नागपुर और पुणे।
  • उत्तर रेलवे में अंबाला।
  • दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रायपुर, बिलासपुर और नागपुर। 
  • उत्तर पूर्व फ्रंटियर रेलवे में लुमडिंग।
  • पूर्व रेलवे में मालदा।
  • दक्षिण पूर्व रेलवे में चक्रधरपुर।
  • उत्तर पूर्वी रेलवे में लखनऊ और इज्जतनगर।
  • दक्षिण मध्य रेलवे में गुंटकल और गुंटूर।
  • दक्षिण पश्चिम रेलवे में बंगलूरू। 

कुछ अधिकारी पिछले दो महीने से अधिक समय से मंडल रेल प्रमुखों की नियुक्ति में देरी पर चिंता जता रहे थे। दो साल का कार्यकाल खत्म होने पर ये नई नियुक्तियां समय पर होनी चाहिए थी। लेकिन इस बार इस प्रक्रिया में देरी हुई। कुछ मंडल रेल प्रबंधकों ने पीटीआई से देर करते हुए कहा कि यह देरी उनके कामकाजी माहौल और परियोजनाओं को प्रभावित कर सकती थी। खासतौर पर नई परियोजनाओं को शुरू करने में दिक्कत हो सकती थी। 

रेलवे बोर्ड ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मंडल रेल प्रबंधकों की नियुक्ति में देरी का कामकाजी दक्षता से कोई संबंध नहीं है। बोर्ड के अधिकारियों ने यह भी कहा कि नई नियुक्तियों के आदेश कुछ दिनों में जारी कर दिए जाएंगे। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि ये नियुक्तियां एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा थीं।

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