भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने कहा है कि तीनों सेनाओं के समन्वय को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित थिएटराइजेशन योजना पर विचार-विमर्श जारी है, और इससे जुड़ा हर निर्णय राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वायुसेना इस सुधार प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रही, बल्कि इसके स्वरूप को भारत की सुरक्षा जरूरतों के अनुरूप बनाने पर जोर दे रही है।
थिएटराइजेशन योजना का उद्देश्य थलसेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं को एकीकृत कर देश की रक्षा संरचना को और अधिक प्रभावी बनाना है। इसके तहत विभिन्न थिएटर कमांड गठित किए जाएंगे, जहां तीनों सेनाओं की इकाइयां मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगी। वर्तमान में सभी सेनाओं के अलग-अलग कमांड हैं, जिन्हें एक साझा ढांचे में लाने की प्रक्रिया चल रही है।
“फैसला जल्दबाजी में नहीं होना चाहिए”
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि भारत को किसी अन्य देश की सैन्य व्यवस्था की नकल नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने भू-राजनीतिक हालात के अनुसार अपना मॉडल तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “नई संरचना जरूरी है, लेकिन इसे जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाना चाहिए। जो भी निर्णय लिया जाए, वह देश के हित में सर्वोत्तम होना चाहिए।”
उन्होंने बताया कि हाल ही में संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तीनों सेनाओं के बीच उत्कृष्ट समन्वय का उदाहरण रहा है, जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत की सैन्य ताकत आपसी सहयोग से और सशक्त हो सकती है।
ड्रोन युद्ध और नई चुनौतियां
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन तकनीक एक बड़ी भूमिका निभा रही है, इसलिए भारत को ड्रोन और काउंटर-ड्रोन संचालन के लिए एक साझा ढांचा विकसित करना चाहिए, जैसा कि एयर डिफेंस सिस्टम के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में ड्रोन तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन यह अभी भी पारंपरिक युद्ध जीतने में सक्षम नहीं है, बल्कि केवल सहयोग या भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है।
“भविष्य के युद्ध में एयर पावर निर्णायक”
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने साबित किया है कि आधुनिक युद्ध में वायुशक्ति निर्णायक भूमिका निभाती है। “जब मैं एयर पावर की बात करता हूं, तो केवल वायुसेना नहीं बल्कि उन सभी माध्यमों की बात करता हूं जो आकाश से जुड़ी हैं,” उन्होंने कहा।
सिंह ने भरोसा जताया कि थिएटराइजेशन पर होने वाला अंतिम निर्णय “नेशन फर्स्ट” की भावना से लिया जाएगा, जिससे भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक मजबूती में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।