राज्यसभा में कांग्रेस के बेंच पर नोटों की गड्डी मिलने पर आज सदन में जमकर हंगामा हुआ. अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी. गुरुवार को सुरक्षा जांच के दौरान सीट नंबर 222 के पास नोटों की गड्डी मिली थी. दावा किया गया कि कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को अलॉट की गई सीट के नीचे से नोटों की गड्डी मिली थी जिसकी जानकारी राज्यसभा सभापति धनखड़ ने दी.
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बिना जांच किसी नतीजे पहुंचने की आलोचना की. इस मामले में खड़गे ने जेपी नड्डा से माफी की मांग की. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नोट के दावे को लेकर विपक्ष पर हमला बोला और कहा कि विपक्ष मामले को छिपाने की कोशिश कर रहा है. इस मामले में सभी को निंदा करनी चाहिए.
मामले की होगी जांच
मामला तूल पकड़ने के बाद फैसला लिया गया है कि पांच सौ के नोटों की गड्डी मिलने के मामले की उच्च स्तरीय जांच होगी. जांच समिति में सुरक्षा एजेंसियों, राज्य सभा सचिवालय के अधिकारियों के साथ ही कुछ वरिष्ठ सांसदों को भी रखा जा सकता है. सदन में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज को निकाला जा रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि यह गड्डी कैसे आई.
दरअसल, संसद सत्र के दौरान हर दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन की एंटी सैबोटेज जांच होती है. सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद भी यह जांच की जाती है. जांच के दौरान कई बार चश्मा, मोबाइल, डायरी जैसी चीजें मिलती हैं जो सांसद भूलवश छोड़ जाते हैं. इन्हें राज्य सभा सचिवालय के लॉस्ट एंड फाउंड काउंटर पर जमा करा दिया जाता है.
एंटी सैबोटेज जांच हुई तो सीट नंबर 222 पर पांच सौ के नोटों की गड्डी मिली. चूंकि रकम बड़ी है यानी करीब पचास हजार रुपए लिहाजा तुरंत इसकी जानकारी राज्य सभा सचिवालय को दी गई और गड्डी लॉस्ट एंड फाउंड में जमा कर दी गई. इसके बाद राज्य सभा के सभापति को सूचित किया गया. यह सीट कांग्रेस के तेलंगाना से सांसद अभिषेक मनुसिंघवी को आवंटित है जिन्होंने इस गड्डी के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है.
जब बीजेपी सांसदों ने लहराई थी गड्डियां
नए सदन के भीतर इतनी बड़ी संख्या में नोट मिलने का यह पहला मामला है. हालांकि इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान न्यूक्लियर डील पर सीपीएम के समर्थन वापस लेने पर विश्वास मत हासिल करने की प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के सांसदों ने नोटों की गड्डियां लहराई थीं. उनका आरोप था कि विश्वास मत के दौरान सदन से अनुपस्थित रहने के लिए उन्हे्ं यह घूस की तौर पर दी गई थी. तत्कालीन स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने इसकी जांच के लिए एक समिति बनाई थी. वैसे सदन में कितनी नगद राशि सदन में लेकर जा सकते है इस पर कोई नियम नहीं है.