असम में गोमांस पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की तरफ से बैन लगाने के बाद इस मामले पर अलग-अलग से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. समाजवादी पार्टी सांसद इकरा हसन ने असम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये निजी जीवन में दखल देने जैसा है. संविधान सबको हर तरह का अधिकार देता है.
भारत में अलग-अलग तरीके के लोग रहते हैं. सबकी अपनी आस्था है अपने खान-पान हैं, अगर इस तरह के सरकारी रोक लगाएंगे तो यह राइट ऑफ फ्रीडम का सीधा उल्लंघन है. कोई किसी पर जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता है. हम अपनी मर्जी और पसंद चीज खाने का अधिकार रखते हैं.
फ्रीडम को कम करने का अधिकार संविधान में नहीं
इकरा हसन ने कहा कि हमारा संविधान यह नहीं कहता है कि हम किसी दूसरे के फ्रीडम का उल्लंघन करें. खाने-पीने का सवाल मुझ तक सीमित है मुझे किसी दूसरे से आपत्ति नहीं होनी चाहिए. इनके रवैये से पता चलता है कि इनके पास विकास का कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए ही ये लोग ऐसा कर रहे हैं. ये हमारे देश के संविधान के लिए ठीक नहीं है. खान-पान निजी जीवन का हिस्सा है. पहनने-ओढ़ने में अगर सरकार दखल देगी तो फिर प्रजातंत्र नहीं रह जाएगा, ऐसा करने पर हम तानाशाही की ओर हम जा रहे हैं.
इस मसले पर एआईयूडीएफ विधायक और पार्टी महासचिव, डॉ रफीकुल इस्लाम ने कहा कि कैबिनेट को यह तय नहीं करना चाहिए कि लोग क्या खाएंगे या पहनेंगे? भाजपा गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है.
असम में बीफ पूरी तरह से बैन
असम के सीएम बिस्वा सरमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए घोषणा की है राज्य में बीफ पूरी तरह से बैन रहेगा. होटल, रेस्ट्रॉ, त्योहार और बड़े कार्यक्रमों में गोमांस की खपत नहीं की जाएगी. इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक, सामाजिक और अन्य सार्वजनिक समारोहों में गोमांस नहीं परोसा जाएगा. राज्य में इस नए प्रावधान को असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 को मजबूत करने के लिए जोड़ा जाएगा.