चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस ने अग्निबाण रॉकेट के प्रक्षेपण को रद्द कर दिया। यह प्रक्षेपण उड़ान भरने से लगभग 92 सेकंड पहले रद्द किया गया। इसके पीछे अग्निकुल कॉसमॉस ने तकनीक खामियों का हवाला दिया है। बता दें कि अग्निबाण एक सेमी क्रायोजेनिक रॉकेट है और 22 मार्च से अब तक इसके परीक्षण का यह तीसरा प्रयास था। यह परीक्षण उड़ान श्रीहरिकोटा में इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में अग्निकुल लॉन्च पैड पर आयोजित होने वाला था।
शनिवार को सफल नहीं हो पाया था दूसरा प्रयास
इससे पहले शनिवार सुबह 7.45 बजे भी प्रक्षेपण की कोशिश की गई थी। यह दूसरा प्रयास था और यह भी सफल नहीं हो पाया था। इसके बाद रविवार को सुबह 5.30 बजे पलॉन्चिंग का समय निर्धारित किया गया था लेकिन इसे भी सुबह 7.45 बजे के लिए टाल दिया गया। आईआईटी चेन्नई इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप का कहना है कि अग्निबाण के प्रक्षेपण को उड़ान के 92 सेकंड पर रद्द कर दिया गया।
ये हैं अग्निबाण की खूबियां
बता दें कि स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने नवंबर 2022 में विक्रम-एस सब-ऑर्बिटल रॉकेट को लॉन्च किया था। कंपनी का इरादा इसके बाद अग्निकुल को लॉन्च करने का था, जो कि भारत का दूसरा निजी रॉकेट है। कंपनी का कहना है कि अग्निबाण दो चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, जो लगभग 700 किमी की कक्षा में 300 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। इस रॉकेट में सेमी-क्रायोजेनिक इंजन लगा है। यह ऐसी तकनीक है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अभी तक अपने किसी भी रॉकेट में इस्तेमाल नहीं किया है। इसे पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
स्टार्ट-अप ने इस यान को भारत के पहले ईथरनेट-आधारित एवियोनिक्स आर्किटेक्चर के साथ तैयार किया है। इसे पूरी तरह से इन-हाउस विकसित ऑटोपायलट सॉफ्टवेयर के साथ बनाया गया है। यह रॉकेट सब-कूल्ड लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें चार कार्बन मिश्रित पंखे लगे हुए हैं। इसका इंजन दुनिया का पहला सिंगल-पीस 3डी-प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उड़ान 1 मिनट 29 सेकंड में यह प्रक्षेपण यान के अपने चरम पर पहुंच जाएगा।