दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 2024 में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद चुनाव आयोग के सामने विरोध प्रदर्शन करने के लिए टीएमसी नेताओं डेरेक ओ ब्रायन, सागरिका घोष और साकेत गोखले को सोमवार को तलब किया। पुलिस ने आरोप लगाया कि पिछले वर्ष 8 अप्रैल को आरोपियों ने भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य द्वार के बाहर एकत्र हुए और बिना किसी अपेक्षित अनुमति के तथा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू होने के बावजूद हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। दिल्ली पुलिस ने आगे आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्तियों ने धारा 144 की चेतावनी के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। 

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने कहा कि सभी आरोपियों को 30 अप्रैल, 2025 को आईओ के माध्यम से तलब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरोप पत्र के साथ शिकायत का भी अध्ययन किया है। ऐसे में वह धारा 188 (लोक सेवक द्वारा दिए गए आदेश की अवज्ञा) 145 (अवैध सभा) और 34 (सामान्य इरादा) आईपीसी के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेती है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने कहा कि उन्होंने आरोपपत्र के साथ-साथ शिकायत भी देखी है। उन्होंने आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा) धारा 145 (अवैध सभा) और धारा 34 (सामान्य इरादा) के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओब्रायन, सागरिका घोष, साकेत गोखले, शांतनु सेन, डोला सेन, नदीमुल हक, विवेक गुप्ता, अर्पिता घोष, अबीर रंजन बिश्वास और सुदीप राहा को 30 अप्रैल को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए तलब किया। 

अदालत ने कहा कि सभी को आईओ के माध्यम से तलब किया जाए। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि पिछले वर्ष आठ अप्रैल को आरोपित व्यक्ति चुनाव आयोग (ईसीआई) के मुख्य द्वार के बाहर एकत्रित हुए और बिना किसी अपेक्षित अनुमति के और धारा 144 (एकत्रीकरण निषेध) लागू होने के बावजूद तख्तियों और बैनरों के साथ विरोध प्रदर्शन करते रहें, जिसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई। टीएमसी नेताओं ने केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआइ, एनआईए, ईडी और आयकर विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उनके प्रमुखों को बदलने की मांग की थी।