प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर पूरे साल चलने वाले स्मरणोत्सव का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् “एक मंत्र, ऊर्जा, स्वप्न और संकल्प” है। उन्होंने बताया कि यह गीत मां भारती की आराधना और भारतवासियों के आत्मविश्वास का प्रतीक है, जो भविष्य के लिए साहस और प्रेरणा देता है।

गुलामी के समय से आजादी का संदेश
पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के काल में वंदे मातरम् भारत की स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया था। “इस गीत ने यह संदेश दिया कि गुलामी की बेड़ियां टूटेंगी और भारत की संतानें अपने भाग्य की स्वयं विधाता बनेंगी,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि इस गीत की पहली पंक्ति ने अंग्रेजों की नकारात्मक प्रचार रणनीति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और स्वतंत्र भारत का सपना प्रस्तुत किया।

आधुनिक भारत की ताकत और दृढ़ता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति कर, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। उन्होंने बताया कि भारत मानवता की सेवा के लिए कमल और विमला जैसा है, और आतंकवाद के खिलाफ दस प्रहर धारिणी दुर्गा के रूप में भी खड़ा हो सकता है।

वंदे मातरम् की अपूर्ण विरासत और वर्तमान प्रासंगिकता
पीएम मोदी ने बताया कि 1937 में कुछ महत्वपूर्ण पदों को हटाकर वंदे मातरम् का खंडन किया गया, जिससे इसके मूल स्वरूप और भावना का विभाजन हुआ। “इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज बोए और आज भी यह विभाजनकारी सोच हमारे लिए चुनौती बनी हुई है,” उन्होंने चेतावनी दी।

7 नवंबर 2025 से 7 नवंबर 2026 तक चलने वाला यह स्मरणोत्सव वंदे मातरम् के सम्पूर्ण महत्व और देशभक्ति की भावना को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का उद्देश्य रखता है।