नई दिल्ली। ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में संबोधन दिया। इस दौरान उन्होंने 1937 में इस गीत के कुछ पदों को हटाने का जिक्र किया और कहा कि उस समय कांग्रेस ने ‘वंदे मातरम्’ के महत्वपूर्ण हिस्सों को हटाया था। पीएम मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि इसी से देश के विभाजन की नींव डाली गई।
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई। भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् को तोड़ने का काम किया।
कांग्रेस ने इसे तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर स्पष्ट किया कि 1937 में वंदे मातरम् के पहले दो पैराग्राफ को अपनाने का निर्णय रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह पर लिया गया था। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का यह बयान भ्रामक और निंदनीय है। रमेश ने बताया कि टैगोर ने 26 अक्तूबर 1937 को जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर यही सुझाव दिया था कि केवल पहले दो पद राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना व्यक्त करते हैं, जबकि अन्य पद कुछ समुदायों की भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते हैं।
कांग्रेस ने कहा कि 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगीत का दर्जा देते समय केवल पहले दो पदों को ही शामिल किया था। पार्टी ने प्रधानमंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग की और आरोप लगाया कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना लोकतंत्र के साथ धोखा है।
इस विवाद ने ‘वंदे मातरम्’ के इतिहास और राजनीति के बीच नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और उस समय के निर्णयों को लेकर जनता और राजनेताओं के बीच मतभेद स्पष्ट हो गए हैं।