नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार (1 दिसंबर) से शुरू हो गया। विपक्ष ने इस सत्र में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा की मांग की थी। चर्चा नहीं होने के कारण आज दोनों सदनों में हंगामा हुआ और विपक्षी सांसदों ने सदन का वॉकआउट किया।

इस बीच, केंद्र सरकार ने इस हफ्ते के अंत में लोकसभा में राष्ट्रगान वंदे मातरम पर चर्चा कराने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में यह चर्चा गुरुवार या शुक्रवार को हो सकती है, और इसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस चर्चा में भाग ले सकते हैं। राज्यसभा में इस पर चर्चा अगले हफ्ते होने की संभावना है।

150 साल पूरे वंदे मातरम के
सरकार ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में विशेष चर्चा कराने का फैसला किया है। यह चर्चा राष्ट्रगान के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करेगी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक और लोकसभा-राज्यसभा बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद कहा कि वंदे मातरम आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण रहा है। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखा गया यह गीत अब 150 साल पुराना हो चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और सरकार सभी पार्टियों के साथ मिलकर इस पर चर्चा करना चाहती है।

विपक्ष में मतभेद
शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर वंदे मातरम को लेकर विपक्ष में मतभेद दिखाई दिया। लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कांग्रेस ने इस पर चर्चा का विरोध किया, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन किया। सूत्रों के अनुसार, बैठक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध भी हुआ। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि इस समय वंदे मातरम पर चर्चा क्यों हो रही है और इसे ध्यान भटकाने की रणनीति बताया, जबकि बीजेपी ने जवाब दिया कि देश ने हाल ही में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे किए हैं और इसलिए इस सत्र में चर्चा आवश्यक है।