वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। इस बीच वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति के सदस्यों ने मसौदा विधेयक में 572 संशोधनों का सुझाव दिया है। समिति की बैठकों के अंतिम चरण में पहुंचने पर रविवार देर रात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त समिति की ओर से संशोधनों की समेकित सूची जारी की गई। समिति आज अपनी बैठक में खंडवार संशोधनों पर चर्चा करेगी। भाजपा और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक पर संशोधन पेश किए हैं। हालांकि, संशोधन पेश करने वाले सदस्यों की सूची में भाजपा के किसी भी सहयोगी दल का नाम नहीं है।

572 amendments suggested in the Waqf Bill amid tussle between government and opposition JPC meeting Updates

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था। इसके बाद इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्ति के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

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इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति की बैठक शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ था। हंगामा थमता न देख समिति के 10 सांसदों को पूरे दिन के लिए कमेटी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था। बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें मसौदा कानून में प्रस्तावित बदलावों का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है। इस दिन भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली जेपीसी कश्मीर के मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के विचार सुनने वाली थी।

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10 विपक्षी सांसद दिनभर के लिए कर दिए गए थे निलंबित
बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल थे।

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जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने क्या कहा था?
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक को लेकर कहा था कि शुक्रवार को दो महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल गवाह के तौर पर आए थे। एक प्रतिनिधिमंडल मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से था। दूसरा प्रतिनिधिमंडल लॉयर्स फॉर जस्टिस का था, जिसमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील शामिल थे। उन्होंने अच्छा प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने विस्तृत शोध कार्य किया है, जो हमारी रिपोर्ट के लिए भी उपयोगी होगा। 

उन्होंने कहा था कि भले ही यह हमारे अधिकार क्षेत्र में न हो, लेकिन हमारे सदस्यों ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से कहा कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन मुझे दुख है कि आज की बैठक इतनी महत्वपूर्ण थी, लेकिन जिस तरह से कल्याण बनर्जी ने बैठक में बेवजह हंगामा किया, वेल में घुसकर बहस करने की कोशिश की और गाली-गलौज भी की, मुझे लगता है कि उन्होंने आज सारी हदें पार कर दीं और सारी मर्यादाएं तोड़ दीं।

उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि पूरा देश, पूरी दुनिया यह देख रही है...वह नहीं चाहते थे कि हम मीरवाइज उमर फारूक को भी सुनें, हमारे सभी सदस्य इससे आहत हैं। हमने बैठक दो बार स्थगित की, लेकिन उन्होंने अपना मन बना लिया था आज बैठक न होने देने के लिए... इसके बाद निशिकांत दुबे ने प्रस्ताव रखा और कुछ सदस्यों को बाहर भेजना पड़ा, जेपीसी सदस्य होने के बावजूद वे बाहर ही बयान देते हैं।