वायनाड उपचुनाव: प्रियंका के शपथ पत्र पर भाजपा ने उठाये सवाल

 पहली बार वायनाड उपचुनाव से चुनावी राजनीति में उतरीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पहले ही कदम पर घेरने का प्रयास भाजपा ने किया है। उनके शपथ पत्र में घोषित संपत्ति पर प्रश्न खड़े करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तीखे कटाक्ष के साथ पूछा- यह मुहब्बत की दुकान है या दलाली की दुकान?प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा नामांकन के साथ दाखिल शपथ पत्र पर प्रश्न खड़े करते हुए गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि इसमें राबर्ट वाड्रा की घोषित संपत्ति कम है, लेकिन आयकर विभाग द्वारा उन पर लगाए गए आयकर की राशि कहीं ज्यादा है।

राबर्ट वाड्रा की संपत्ति कितनी?

राबर्ट वाड्रा पर 2010-11 में सात करोड़ रुपये, 2011-12 में तीन करोड़ रुपये, 2013-14 में 11 करोड़, 2014-15 में 10 करोड़ रुपये से लेकर 2020-21 तक के आयकर को जोड़ा जाए तो राबर्ट वाड्रा पर लगाए गए आयकर की राशि 75 करोड़ रुपये होगी। जबकि घोषित संपत्ति इससे काफी कम है। यह कैसे हो सकता है। क्या यह नहीं कहा जाएगा कि गांधी परिवार के दिखाने के और खाने दांत अलग-अलग हैं। सच्चाई यह है कि गांधी परिवार की घोषित आय के सैकड़ों गुना ज्यादा अघोषित आय है।

भाजपा के एक तीर से तीन निशाने

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि गरीबों का रुपया लेकर अंबानी को दे दिया, जबकि प्रियंका वाड्रा के शपथ पत्र के अनुसार, राबर्ट वाड्रा उसी कंपनी में निवेश करते हैं, जिस कंपनी का नाम बार-बार राहुल गांधी लेते हैं। यह कैसा विरोधाभास और दोहरा चरित्र है?

खरेगे को लेकर भी घेरा

साथ ही आरोप लगाया कि प्रियंका के नामांकन के दौरान कक्ष में जाने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को नहीं दिया गया और वह दरवाजे के बाहर से झांक रहे थे। भाटिया ने कहा कि मीडिया में प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा वायनाड लोकसभा उपचुनाव में नामांकन भरने की तस्वीर आई है, जिसमें प्रियंका के बगल में उनकी मां सोनिया गांधी और उनके भाई राहुल गांधी हैं, जबकि कमरे के दरवाजे से कांग्रेस अध्यक्ष खरगे झांक रहे हैं।

याद दिलाया सीताराम केसरी का किस्सा

यह दर्शाता है कि यह लोग राजनीतिक लाभ के लिए पिछड़े और दलित समाज के व्यक्ति को किसी पद पर बिठाएंगे, लेकिन उसे सम्मान नहीं देंगे। उसका अपमान करेंगे और उसे रिमोट कंट्रोल से चलाएंगे। भाजपा प्रवक्ता ने इस घटना के साथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के अपमान का प्रसंग भी याद दिलाया।

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