बांग्लादेश की स्थिति पर, विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमारे विदेश सचिव ने दौरा किया था, जिसमें हमने कहा था कि हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं...हम चाहते हैं कि भारत-बांग्लादेश संबंध बांग्लादेश और भारत के लोगों के लिए अच्छे हों'। बांग्लादेश के साथ मौजूदा सीमा स्थिति पर, विदेश मंत्रालय ने कहा कि, 'हमने अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है। हमने कार्यवाहक, उप-कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया था और सीमा बाड़ लगाने पर अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी थी। हम सीमा पार आपराधिक गतिविधियों, तस्करी और मानव तस्करी, कांटेदार तार की बाड़ लगाने, सीमा पर प्रकाश व्यवस्था, तकनीकी उपकरणों की स्थापना और मवेशी बाड़ लगाने जैसे उपायों को प्रभावी ढंग से संबोधित करके बांग्लादेश के साथ अपराध मुक्त सीमा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनका उद्देश्य सीमा को सुरक्षित करना है...इस संबंध में सभी पहले की समझ बांग्लादेश की तरफ से ऐसे अपराधों से निपटने की दिशा में एक सहयोगी दृष्टिकोण में लागू की जाएगी'।
'कनाडा में राजनीतिक घटनाक्रम पर हमारी नजर'
वहीं, कनाडा में राजनीतिक घटनाक्रम पर, विदेश मंत्रालय ने कहा, 'कनाडा में बहुत सारे राजनीतिक घटनाक्रम चल रहे हैं। हम उन पर कड़ी नजर रख रहे हैं। भारत और कनाडा के बीच बहुत गहरे संबंध हैं... हमें उम्मीद है कि ये संबंध मजबूत बने रहेंगे और भारत इस दिशा में कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार रहेगा'।
'आतंकवाद से पूरी ताकत से लड़ने की जरूरत'
सीमा पार आतंकवाद पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम इस बात पर दृढ़ हैं कि आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में मौजूद हो, उससे पूरी ताकत से लड़ने की जरूरत है और हमने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को भी चिन्हित किया है'।
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस कॉनफ्रेंस में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर कहा कि, 'इस वर्ष हमें भारत में वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी है...हर वर्ष हम रूस के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन करते हैं...इसकी तारीखें राजनयिक चैनलों के माध्यम से तय की जाएंगी'।
रूसी सेना में कार्यरत भारतीयों को वापस लाने का आग्रह
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को कहा कि रूस ने भारत को सूचित किया है कि रूसी सेना में कार्यरत 16 भारतीय लापता हैं। एमईए ने कहा कि रूसी सेना में कार्यरत 12 भारतीयों की अब तक मौत हो चुकी है। एमईए के प्रवक्ता ने कहा, 'रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों के 126 मामले सामने आए हैं। इन 126 मामलों में से 96 लोग भारत लौट आए हैं और उन्हें रूसी सशस्त्र बलों से छुट्टी दे दी गई है।' उन्होंने कहा, 'रूसी सेना में 18 भारतीय नागरिक अभी भी हैं और उनमें से 16 व्यक्तियों का पता नहीं चल पाया है।' इसमें रूसी पक्ष ने उन्हें लापता की श्रेणी में रखा है... हम बचे हुए लोगों की शीघ्र रिहाई और स्वदेश वापसी की मांग कर रहे हैं।
वहीं उन्होंने कहा, 'बिनिल बाबू की मृत्यु अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने उनके परिवार को अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। हमारा दूतावास रूसी अधिकारियों के संपर्क में है, ताकि उनका पार्थिव शरीर जल्द से जल्द भारत वापस आ सके। एक अन्य व्यक्ति जो घायल हुआ था, उसका मॉस्को में इलाज चल रहा है...उम्मीद है कि वह भी अपना इलाज पूरा होने के बाद जल्द ही भारत लौट आएगा।
'अफगानिस्तान के साथ उच्च स्तरीय बातचीत हुई'
विदेश सचिव विक्रम मिस्री की दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ बैठक पर, विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमारा काबुल में एक तकनीकी मिशन है। हमने पहले भी संयुक्त सचिव स्तर पर बातचीत की है, यह हमारी सबसे उच्च स्तरीय बातचीत थी, और हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए और अधिक काम करना चाहते हैं और साथ ही विकास सहयोग पर अफगानिस्तान के लोगों की सरकार के साथ बातचीत करना चाहते हैं'।
वाशिंगटन में क्वॉड विदेश मंत्रियों की बैठक संभावित
वहीं क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक पर, रणधीर जायसवाल ने कहा, 'क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ समारोह के लिए वाशिंगटन, डीसी में होने की उम्मीद है'। रणधीर जायसवाल ने कहा, 'जिन अतिरिक्त प्रतिबंधों की घोषणा की गई है, वे रूसी ऊर्जा क्षेत्र में कई संस्थाओं और व्यक्तियों से संबंधित हैं। हम भारतीय संस्थाओं पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं, हमारी तेल खरीद, हमारी अपनी ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ-साथ मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों और बाजार की स्थितियों की तरफ से निर्देशित रही है और हमेशा रहेगी'।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि, 'तीन संस्थाओं के बारे में जिन्हें संस्था सूची से हटा दिया गया है। ये तीन संस्थाएं इंडियन रेयर अर्थ्स, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है। ये कई वर्षों से अमेरिका की इकाई सूची में हैं...अमेरिकी सरकार की इस कार्रवाई से भारत और अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में अधिक सहयोग होगा'।