अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपने हालिया भारत दौरे के दौरान नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के साथ बढ़े हुए तनाव और क्षेत्रीय रिश्तों पर स्पष्ट रुख प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान न तो किसी से टकराव चाहता है और न ही किसी पड़ोसी से दुश्मनी की तलाश में है, बल्कि उसका लक्ष्य शांति व सहयोगपूर्ण संबंध स्थापित करना है।
मुत्ताकी ने पाकिस्तान–भारत के बीच चल रहे गतिरोध के बारे में कहा कि अफगानिस्तान को दोनों देशों के साथ किसी प्रकार की समस्या नहीं है और यदि भारत से निकटता की चर्चा है तो उस पर पाकिस्तान से ही सवाल किए जाने चाहिए। उनका कहना था, “हमें कोई दिक्कत नहीं है, हमारा सीना बड़ा है।”
टीटीपी और शरणार्थियों पर जताई टिप्पणी
मुत्ताकी ने तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की सक्रिय उपस्थिति से इनकार करते हुए कहा कि अब अफगान इलाके में टीटीपी मौजूद नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल में पाकिस्तान में चले सैन्य अभियान और उससे उत्पन्न विस्थापितों में से कई लोग अफगानिस्तान में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। मुत्ताकी ने कहा कि कुछ लोगों को उस समय, जब अमेरिका-समर्थित सरकार थी, अफगानिस्तान में पनाह दी गई और वे आज शांति से यहां रह रहे हैं।
सीमा, सुरक्षा व पाकिस्तान से सवाल
अफगान विदेशमंत्री ने ड्यूरंड लाइन को याद करते हुए बताया कि पाकिस्तान-अफगान सीमा 2,400 किलोमीटर से अधिक लंबी है और केवल सैन्य बल के भरोसे इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। उन्होंने पाकिस्तान से पूछा कि उसके पास इतनी बड़ी सेना और खुफिया शक्तियां होने के बावजूद वह अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी समूहों को नियंत्रण में क्यों नहीं रख पा रहा। मुत्ताकी ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ शक्तियां दोनों देशों के बीच जानबूझकर तनाव बढ़ा रही हैं।
जवाबी कार्रवाई और शांति की कोशिशें
मुत्ताकी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से अग्रिम कार्रवाई होने पर अफगानिस्तान ने सीमाओं की रक्षा करते हुए जवाबी कार्रवाई की थी और अपने सैन्य उद्देश्यों को पूरा किया। इसके बाद कतर और सऊदी अरब की मध्यस्थता पर अफगानिस्तान ने स्थिति शांत कराने की दिशा में कदम उठाए। अंततः उन्होंने आग्रह के साथ कहा कि अफगानिस्तान युद्ध नहीं चाहता, पर यदि पाकिस्तान स्थायी शांति नहीं चाहे तो उसके पास और विकल्प मौजूद हैं।