विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से बच्चों को जीवन रक्षक टीके और किशोरियों को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचाने के लिए सर्वाइकल वैक्सीन लगाने की अपील की। बुधवार को की गई इस अपील में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बचपन के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दिए जा रहे जीवन रक्षक टीकों को लगाने में तेजी लाई जाए। इसके साथ ही जिन बच्चों की कुछ खुराकें छूट गई हैं, उनका टीकाकरण पक्का किया जाए। यह बात संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने इस क्षेत्र की टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एसईएआर-आईटीएजी) की 15वीं बैठक में कहीं।
साइमा वाजेद ने कहा, "जिन बच्चों को कोई खुराक नहीं मिली है, उनके साथ ही आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों का टीकाकरण करने और (कोविड-19) महामारी के दौरान खोई हुई टीकाकरण प्रगति को बहाल करने का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ सभी किशोरियों को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचाने, 2026 तक दक्षिण-पूर्व एशिया से खसरा और रूबेला को खत्म करने की कोशिशों में तेजी लाना मकसद होना चाहिए।"
किशोरियों को लगे एचपीवी वैक्सीन की कम से कम एक खुराक
साइमा वाजेद ने कहा, "हमें स्थानीय स्तर पर असरदार नजरिये की जरूरत है। इसके साथ ही सबसे अहम बात, राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व को बढ़ाना है। इससे क्षेत्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी कार्रवाई तेजी से हो पाएगी।" उन्होंने आगे कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे क्षेत्र की सभी किशोर लड़कियों की सुरक्षा हो और उन्हें गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचाने के लिए कम से कम एचपीवी वैक्सीन की एक खुराक जरूर मिल सके। इसके लिए टीकाकरण कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करना, समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना, वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करना और सामुदायिक जुड़ाव अहम घटक हैं।
- टीकाकरण कार्यक्रम के 50 वर्ष पूरे होने के बाद भी दक्षिण-पूर्व एशिया 2023 तक खसरा और रूबेला को खत्म करने के लक्ष्य से चूका।
- यूनीसेफ के मुताबिक, 2022 के मुकाबले बीते साल बचपन-टीकाकरण कवरेज में धीमी प्रगति में कोई बदलाव नहीं हुआ।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 27 लाख बच्चों को कोई टीका नहीं लगा और 2023 में अन्य छह लाख बच्चों को आंशिक टीका लगा।