पश्चिम बंगाल के कृषि विपणन मंत्री बेचाराम मन्ना ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कुछ व्यापारियों ने नवंबर महीने में बांग्लादेश को भारी मात्रा में आलू भेजे हैं, जबकि इसके निर्यात पर प्रतिबंध था। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि इन व्यापारियों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का समर्थन था। 

राज्य विधानसभा को संबोधित करते हुए मन्ना ने कहा कि राज्य सरकार ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि यह आलू किसने और किस तरह से बांग्लादेश भेजे। उन्होंने कहा कि कुछ बेईमान व्यापारियों ने केंद्र सरकार के समर्थन से नवंबर के पहले सप्ताह में बांग्लादेश को आलू भेजे। यह आलू मालदा जिले के महादिपुर चेक पोस्ट, दक्षिण दिनाजपुर के हिली चेक पोस् और कूच बिहार के चंगरबांध चेक पोस्ट से भेजे गए थे। 

राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल के खुदरा बाजार में आलू की कीमतों को स्थिर रखने के लिए आलू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि हाल ही में कीमते बढ़ने लगी थीं। मंत्री ने कहा, हमने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ व्यापारी जानबूझकर आलू का भंडारण कर रहे थे, ताकि एक कृ्त्रिम (आर्टिफिशियल) संकट पैदा कर सकें और राज्य सरकार के लिए स्थिति को और बिगाड़ सकें। 

आलू व्यापारियों ने की हड़ताल
आज पश्चिम बंगाल में आलू व्यापारियों ने राज्य के बाहर आलू बेचने पर प्रतिबंध के विरोध में हड़ताल की। हालांकि, बाद में सरकार द्वारा उनकी शिकायतें सुनने का आश्वासन दिए जाने के बाद हड़ताल समाप्त कर दी गई। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अन्य राज्यों को आलू बेचने पर लगाए गए प्रतिबंधों के विरोध में प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ ने मंगलवार से राज्यव्यापी ‘अनिश्चितकालीन हड़ताल’ पर जाने का निर्णय लिया था। यह कदम स्थानीय बाजारों में कीमतों को स्थिर करने के उद्देश्य से उठाया गया था।

कृषि विपणन मंत्री ने कहा,  आलू व्यापारी संघ ने बाद में हड़ताल वापस ले ली। हमने उनसे कहा कि अगर वे आपूर्ति बनाए रखेंगे तो सरकार उनकी शिकायतें सुनेगी। उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारियों की हड़ताल में कोई दिलचस्पी नहीं है। पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पतित पाबेन डे ने कहा कि हालांकि मजदूरों की कमी के कारण हड़ताल खत्म हो गई है, लेकिन स्टोर से ज्यादा आलू नहीं निकला है। बुधवार को सामान्य कामकाज बहाल हो जाएगा।

पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में पड़ोसी राज्यों को आलू के निर्यात पर प्रतिबंध फिर से लगा दिया है, क्योंकि स्थानीय बाजारों में आलू की कीमतें बढ़कर 35-40 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गई हैं।