नई दिल्ली। भारतीय सेना महिलाओं के लिए एक नया अवसर खोलने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, टेरिटोरियल आर्मी की कुछ बटालियनों में महिला कैडर की भर्ती पर विचार किया जा रहा है। शुरुआत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगी, यानी फिलहाल केवल कुछ चुनिंदा यूनिट्स में महिलाओं को शामिल किया जाएगा। भविष्य में इस पहल के परिणाम और अनुभव के आधार पर दायरा बढ़ाने की संभावना है।

महिलाओं के लिए बढ़ रहे अवसर
सरकार लंबे समय से सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रही है। सेना भी धीरे-धीरे महिलाओं की भूमिका बढ़ा रही है। मार्च 2022 में राज्यसभा में दिए गए जवाब में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया था कि महिलाओं की कॉम्बैट भूमिका को लेकर नीति लगातार समीक्षा में है। वर्तमान में महिलाएं सेना की 10 प्रमुख शाखाओं — इंजीनियर्स, सिग्नल्स, एयर डिफेंस, एएससी, एओसी, ईएमई, आर्मी एविएशन, इंटेलिजेंस, जेएजी और एजुकेशन कॉर्प्स — में सेवा दे रही हैं।

टेरिटोरियल आर्मी: परिचय और महत्व
टेरिटोरियल आर्मी 18 अगस्त 1948 को कानून के तहत स्थापित की गई थी और 9 अक्टूबर 1949 को भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया। इसका मुख्य उद्देश्य 'सिटिजन सोल्जर' की अवधारणा पर आधारित है, यानी ऐसे नागरिक जो देश की सेवा करना चाहते हैं लेकिन नियमित सेना में शामिल होने की उम्र पार कर चुके हैं।

वर्तमान स्वरूप और भूमिकाएँ
आज टेरिटोरियल आर्मी में लगभग 50,000 जवान हैं। इसमें 65 विभागीय इकाइयों के अलावा कई गैर-विभागीय बटालियनों में इंफैंट्री, होम एंड हार्थ, पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी इकाइयां और एलओसी पर बाड़बंदी का रखरखाव करने वाली इंजीनियर रेजिमेंट शामिल हैं।

युद्ध और अभियानों में योगदान
‘टेरियर्स’ यानी टेरिटोरियल आर्मी जवानों ने देश के कई प्रमुख अभियानों में अहम भूमिका निभाई है। इनमें 1962, 1965 और 1971 के युद्ध, श्रीलंका का ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक, पूर्वोत्तर राज्यों में ऑपरेशन राइनो और बजरंग शामिल हैं।

इस नई पहल से महिलाओं को न केवल टेरिटोरियल आर्मी में सेवा देने का अवसर मिलेगा, बल्कि उनकी भागीदारी से सेना की तैयारियों और क्षमता में भी वृद्धि होगी।