सर्वोच्च अदालत ने वाईएसआरसीपी विधायक पिन्नेली रामाकृष्ण रेड्डी को मतगणना स्थल में प्रवेश करने से रोक दिया है। रेड्डी ने वोटिंग के दौरान, मतदान केंद्र में घुसकर कथित रूप से ईवीएम तोड़ दिया था। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने 13 मई को हुई घटना का वीडियो देखा। पीठ ने रेड्डी को दी गई अग्रिम जमानत को न्याय तंत्र का भद्दा मजाक करार दिया है।

बिना किसी संकोच के फैसला ले उच्च न्यायालय
रेड्डी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से पीठ ने कहा कि आप वीडियो देखेंगे तो समझ आएगा कि यह पूरी तरह से गलत आदेश है। यह न्याय प्रणाली का भद्दा मजाक है।  इसके अलावा, पीठ ने ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कहा कि रेड्डी के खिलाफ छह जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों से संबंधित याचिका पर बिना किसी संकोच के फैसला लें। रेड्डी को 28 मई को अंतरिम राहत दी गई थी। बता दें, माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र से वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार रेड्डी अपने समर्थकों के साथ 13 मई को मतदान वाले दिन कथित तौर पर मतदान केंद्र में घुसे गए थे और वीवीपैट-ईवीएम मशीनों को तोड़ दिया था। 

याचिका में की गई यह शिकायत
शीर्ष अदालत ने सोमवार को तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के पोलिंग एजेंट शेषगिरी राव नंबूरी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिका में विधायक की जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी। नंबूरी ने दावा किया कि वीडियो के बावजूद पुलिस ने विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया बल्कि कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ ही केस दर्ज कर लिया। पीठ ने कहा कि घटना के वीडियो देखने पर आरोप प्रथम दृष्टया सत्य लग रहे हैं। इन्हें नकारा नहीं जा सकता है। अदालत ने कहा कि 'शिकायत में बताया गया है कि आठ लोग बूथ के अंदर घुसे। वे वीवीपैट व ईवीएम ले गए। उन्हें नष्ट कर दिया। अब, अगर हम अग्रिम जमानत आदेश पर रोक नहीं लगाते, तो न्यायिक प्रणाली का मजाक होगा।