कृषि कानूनों के खिलाफ 16 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को अल्ट्रा-लेफ्ट और प्रो-लेफ्ट विंग के हाइजैक करने का दावा किया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों ने सरकार को इससे जुड़ी एक रिपोर्ट भेजी है। सूत्रों के हवाले से ये बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि किसान संगठनों ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
कीर्ति किसान संगठन के अध्यक्ष रमेंद्र सिंह पटियाल ने कहा, ‘हम सरकार के इस दावे को खारिज करते हैं। कोई भी हमें प्रभावित नहीं कर सकता। यह किसानों को बदनाम करने का सरकार का प्रोपगेंडा है। सभी फैसले किसान यूनियन लेता है। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग किसान आंदोलन को ओवरटेक करने में लगा है। यह एक भयावह तरीका है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि शायद इन्हीं लोगों की वजह से बातचीत फेल हो रही है। ये लोग राष्ट्र की संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं।
बता दें कि इससे पहले गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) ने टिकरी बॉर्डर के पास अपने स्टेज पर एक कार्यक्रम किया था। इसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और आनंद तेलतुंबडे जैसे एक्टिविस्ट के पोस्टर-बैनर नजर आए थे। इन एक्टिविस्टों के पोस्टर-बैनर के जरिए मांग की जा रही थी कि गिरफ्तार बुद्धिजीवियों और छात्रों को रिहा किया जाए। इस मामले में भारतीय किसान यूनियन एकता का कहना है कि मानवाधिकार दिवस के दिन हम इन लोगों कि रिहाई की मांग कर रहे थे, क्योंकि इन लोगों ने जन और जंगल की लड़ाई लड़ी है। इनको सरकार ने गलत फंसाया है, इसलिए हम इनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं।