अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

शामली।

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर सचिन कुमार गौतम एडवोकेट ने कहा कि किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मजदूरों कामगारो और मेहनतकशो की भूमिका होती है उनकी बड़ी संख्या इसकी कामयाबी के लिए हाथों अकल-इल्म और इनदेही के साथ मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं कामगारों के बिना कोई भी उद्योग ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।

1886 अमेरिका में मजदूरों ने संगठित होकर काम की अधिकतम समय सीमा 8 घंटे तय करने की मांग की थी। अपनी यह मांग मनवाने के लिए उन्होंने हड़ताल का सहारा लिया और हड़ताल के दौरान एक अज्ञात शख्स ने शिकागो के हेय मार्केट में बम फोड़ दिया। पुलिस ने गलतफहमी में मजदूरों पर गोलियां चला दीं जिसके कारण कई मजदूरों की जान चली गई।

इस रक्तरंजित घटना के बाद मजदूरों की मांग मान ली गई और उनके काम की समय सीमा अधिकतम 8 घंटे तय कर दी गई। अपने हक के लिए कुर्बान हुए मजदूरों के स्मरण में हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। भारत में पहली बार 1 मई 1923 में मजदूर दिवस मनाया गया था।

पूर्व में मजदूरों की कार्य करने की स्थिति बहुत ही कष्टदायक थी और असुरक्षित परिस्थितियों में भी 10 से 16 घंटे की कार्य दिवस था। हालांकि, देशभर के कामगारों और मजदूरों के लिए मजदूर दिवस काफी निराशा भरा है। कोरोना महामारी के कारण करोड़ों दिहाड़ी मजदूर, कामगार घर बैठ गए हैं। श्रमिकों के लिए रोजी-रोटी कमा पाना भी मुश्किल है। इन कामगारों का काम रुक जाने से देश की अर्थव्यव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। इस दिन के अवसर पर विभिन्न संगठनों द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिवस मजदूरों की निष्ठा, लगन, परिश्रम व कर्तव्यपरायणता को दर्शाता है।

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