इत्र व्यापारी के ठिकानों से बरामद 196.45 करोड़ रुपये की नकदी की जांच

डीजीजीआई अहमदाबाद ने छापे में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से बरामद 196.45 करोड़ रुपये की नकदी की जांच अभी तक आयकर विभाग को हैंडओवर नहीं की है। हालांकि, आयकर विभाग ने अपने स्तर से मामले का अध्ययन शुरू कर दिया है। विभाग तीन बिंदुओं पर जानकारी जुटा रहा है। जानकारों का कहना है कि कोई भी कारोबारी करोड़ों की नकदी अपने घर नहीं रखता। पीयूष के आनंदपुरी और कन्नौज स्थित घर से जो नकदी मिली थी, उसकी विधिवत पैकिंग की गई थी। पहले एक प्रकार के कागज से नोटों की गड्डियों को लपेटा गया था। इसके बाद उस पर पन्नी थी और बाद में टेप लगाया गया था। माना जा रहा है कि ऐसा घर के सदस्यों या खुद पीयूष ने किया होगा। रुपयों को इतना सहेजकर कोई तभी रखता है, जब रकम उसकी हो और उसे कहीं भेजना भी न हो। नोटों के बंडल में नए-पुराने दोनों हैं।


ऐसे में कंपाउंड के फार्मूले की बड़ी डील से भी इनकार नहीं किया जा सकता। बता दें कि पीयूष के आनंदपुरी स्थित आवास से 177.45 करोड़ और कन्नौज स्थित आवास से 19 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई थी।


सूत्रों के अनुसार इतनी रकम को कारोबार की कमाई मानें तो पीयूष का सालाना टर्नओवर सात सौ से आठ सौ करोड़ कम का नहीं होगा। ऐसे में यह देखा जा रहा है कि कितने समय में पीयूष ने कितने लीटर इत्र या कंपाउंड तैयार किया और इसकी ब्रिकी की।

 

इतनी कमाई तो लाखों लीटर इत्र या कंपाउंड की ब्रिकी से सालों में हो सकती है। जबकि, उसके यहां से केवल छह करोड़ का ही चंदन के तेल आदि का स्टॉक मिला है। ऐसे में उसका कारोबार इतना बड़ा नहीं था कि इतनी रकम कमाकर सुरक्षित कर ली जाए। इसके अलावा किसी भी कारोबार में 10 से 15 फीसदी से ज्यादा प्रॉफिट नहीं दिखाया जाता। ऐसे में इस बिंदु पर भी काम किया जा रहा है।


नकदी सौ करोड़ की डील की तो नहीं
सूत्रों का दावा है कि पीयूष जैन एक बड़ी पान मसाला कंपनी को कंपाउंड की सप्लाई करता था। इसका कंपाउंड उपयोग में लाने के बाद कंपनी का कारोबार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। इस बीच, पान मसाला कंपनी के मालिक से मनमाने रेट वसूलने लगा। इसके बाद दोनों के बीच डील हुई।

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