राजस्थान में अब दलित और आदिवासी विकास की योजनाओं को अफसरों को धरातल पर लागू करना अनिवार्य होगा। एससी-एसटी विकास योजनाओं को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए राजस्थान और इन इलाकों में विकास की गारंटी देने के लिए गहलोत सरकार आज विधानसभा में बिल लेकर आ रही है। राजस्थान एससी-एसटी विकास निधि (योजना,आवंटन और वित्तीय संसाधनों का उपयोग) विधेयक आज बहस के बाद पारित होगा।
इस बिल में एससी और एसटी के विकास के लिए अलग से फंड का प्रावधान करने के साथ इसे गारंटेड रूप से लागू करने का प्रावधान किया जा रहा है। प्रदेश में 32 फीसदी एससी-एसटी की आबादी तक अब विकास की योजनाओं का लाभ पहुंचाना कानूनी रूप से जरूरी हो जाएगा। हालांकि योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचाने पर अफसरों पर दंड का प्रावधान अभी नहीं किया गया है।
एससी-एसटी के लिए बजट में अलग से सब प्लान है, लेकिन इसे कानूनी सुरक्षा नहीं मिली हुई है। अब प्रावधान बदलने से अब एससी-एसटी विकास की योजनाओं को लागू करना और फंड का सही इस्तेमाल कानूनी रूप से जरूरी हो जाएगा। एससी-एसटी विकास फंड में बिल पास हो जाने के बाद योजनाओं को बनाने से लेकर लागू करने तक पूरा फोकस करना होगा। दोनों के लिए अलग से फंड होगा।
शुरुआत में 500-500 करोड़ का फंड होगा। जिसे आगे बढ़ाया जाएगा। इस फंड को एससी सब प्लान और ट्राइबल सब प्लान की योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। सीएम अशोक गहलोत ने पिछले साल के बजट में एससी एसटी विकास के लिए फंड का अलग से बिल लाने की घोषणा की थी।
एससी-एसटी की प्रदेश में 32 फीसदी से ज्यादा आबादी है। कई जिलों में यह प्रतिशत और भी ज्यादा है। दलित-आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है, लेकिन यह वोट बैंक में अब बीजेपी और दूसरी पार्टियों की तरफ भी जा रहा है। विकास योजनाओं को लागू करने की गारंटी वाला कानून लाकर सरकार इस बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।