जयपुर सीरियल ब्लास्ट 2008 प्रकरण: हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की डिविजनल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जांच अधिकारी को लीगल जानकारी नहीं है। इसलिए जांच अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए DGP को निर्देश दिए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी जांच करने वाले अफसरों की जांच कराने को कहा है। हाईकोर्ट ने 13 मई 2008 को हुए जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 दोषियों को बुधवार को बरी कर दिया। जबकि मामले के दोषी एक नाबालिग का मामला किशोर बोर्ड को भेजा है। कोर्ट ने इस मामले में डेथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर फैसला सुनाया है।

निचली कोर्ट ने UAPA के तहत अलग-अलग धाराओं में 4 आरोपियों को दोषी माना था
साल 2019 में निचली कोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट केस में फैसला सुनाते हुए इस मामले के 4 आरोपियों को दोषी माना था। कोर्ट ने आरोपियों को UAPA के तहत अलग-अलग धाराओं में दोषी माना था और एक आरोपी को बरी भी कर दिया था। मामले में कुल 5 आरोपी थे।

13 मई 2008 को जयपुर के परकोटे में 8 जगह हुए थे सीरियल बम धमाके
13 मई 2008 को जयपुर के परकोटे में 8 जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इनमें 73 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 185 घायल हुए थे। कोर्ट ने बम धमाकों के दोषियों को 20 दिसंबर 2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में 24 गवाह बचाव पक्ष ने पेश किए थे, जबकि सरकार की ओर से 1270 गवाह पेश हुए थे। सरकार की ओर से वकीलों ने 800 पेज की बहस की थी। कोर्ट ने 2500 पेज का फैसला सुनाया था। तभी से चारों आरोपी जेल में बंद हैं।

सजा सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा था कि विस्फोट के पीछे जेहादी मानसिकता थी। यह मानसिकता यहीं नहीं थमी। इसके बाद अहमदाबाद और दिल्ली में भी विस्फोट किए गए। कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी पाया था।

13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया, 3 आरोपी अब तक फरार 
कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत दोषी पाया था। मामले में कुल 13 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था। 3 आरोपी अब तक फरार हैं। जबकि 3 हैदराबाद और दिल्ली की जेल में बंद है। बाकी बचे 2 गुनहगार दिल्ली में बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। 4 आरोपी जयपुर जेल में बंद थे। जिन्हें निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। 

ये थे आरोपी
आरोपी शाहबाज हुसैन निवासी मौलवीगंज यूपी को 8 सितंबर 2008, मोहम्मद सैफ निवासी सरायमीर आजमगढ़ यूपी को 23 दिसंबर 2008, मोहम्मद सरवर आजमी निवासी चांदपट्टी, आजमगढ़ यूपी को 29 जनवरी 2009, सैफ उर्फ सैफुर्रहमान निवासी आजमगढ़ यूपी को 23 अप्रैल 2009 और मोहम्मद सलमान निवासी निजामाबाद यूपी को 3 दिसंबर 2010 को गिरफ्तार किया गया था।

किसे कहां ब्लास्ट का दोषी माना गया था ?

  • सरवर आजमी को चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम रखने में दोषी माना था।
  • सलमान को सांगानेरी गेट पर हनुमान मंदिर के पास बम रखने में दोषी माना था।
  • मोहम्मद सैफ को माणकचौक के पास बम रखने में दोषी माना था।
  • सैफुर्रहमान को छोटी चौपड़ के पास बम रखने में दोषी माना था।

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