बुलडोजर के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी जमीयत : मौलाना अरशद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, देवबंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बुलडोजर के खिलाफ अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेने की भी कोशिश की गई। मगर, कोर्ट ने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हाईकोर्ट में अब पीड़ितों को भी पक्षकार बनाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर आएं
दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में बुलडोजर चलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी गई। याचिका में अतिक्रमण के नाम पर गरीबों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई है। हालांकि, कोर्ट ने स्टे जारी रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शाहीन बाग में बुलडोजर ऑपरेशन के खिलाफ भाकपा की याचिका पर भी सुनवाई करने से इंकार कर दिया। इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। अगर उन्हें वहां से राहत नहीं मिलती है, तो फिर सुप्रीम कोर्ट में आना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों में से कोई भी याचिकाकर्ता नहीं है। इसलिए वह कोई राहत देने के पक्ष में नहीं है।

शाहीन बाग विध्वंस अभियान पर रोक लगाने की अपील
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से अधिवक्ता निजामुद्दीन पाशा और सरीम नवीद पेश हुए। जबकि मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति गवई की दो सदस्यीय पीठ ने की। अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने पूरे देश में चल रही विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका दायर की थी।

आज कोर्ट से शाहीन बाग में चल रहे विध्वंस अभियान पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है। निजामुद्दीन पाशा ने कोर्ट को बताया कि पीड़ितों की ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया है। अगर जरूरत पड़ी, तो पीड़ितों को भी पक्षकार बनाया जाएगा।

अगले 24 घंटे के लिए शाहीन बाग में तोड़फोड़ पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अगले 24 घंटों तक शाहीन बाग में विध्वंस अभियान नहीं चलाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को कोर्ट में आना चाहिए। न कि राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठन कोर्ट का दरवाजा खटखटखटाए।

क्या है शाहीन बाग
शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। यहां पर सड़क को जामकर महिलाओं ने सीएए के खिलाफ कई हफ्तों तक आंदोलन किया था। आंदोलन के चलते 55 दिनों तक इस सड़क पर चक्काजाम किया गया था। जिसकी वजह से हाईवे तक बंद रहा। इस आंदोलन के खिलाफ कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। हालांकि कोरोना महामारी के चलते ये आंदोलन बिना किसी परिणाम के खत्म कर दिया था।

सोमवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का बुलडोजर अतिक्रमण हटाने शाहीन बाग पहुंचा था, लेकिन बिना कार्रवाई के वापस लौट गया। एमसीडी की टीम के यहां पहुंचते ही महिलाओं सहित सैकड़ों स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे टीम को पीछे हटना पड़ा था।

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