राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी तारीफ पर कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से की गयी अपनी आलोचना को लेकर पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि इन लोगों की ‘गंदी सोच’ है और इन्हें ‘‘राजनीति का ‘क ख ग’ सीखने के लिए किंडरगार्टन” वापस जाना होगा। राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता आजाद ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि जो लोग विदाई भाषणों और नियमित भाषण में अंतर नहीं कर सकते, उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठता है।
आजाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये विस्तृत साक्षात्कार में कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति की अपनी बुनियादी समझ को टटोलते रहना चाहिए। राज्यसभा से आजाद की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च सदन में भावनात्मक भाषण दिया था। जब आजाद ने कांग्रेस छोड़ी तो कुछ पार्टी नेताओं ने मोदी के इस भाषण को याद करते हुए इसमें एक तरह का एजेंडा होने का आरोप लगाया। आजाद के तीखे शब्दों में लिखे त्यागपत्र का जिक्र करते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘‘हमने मोदी और आजाद का प्यार देखा है, यह संसद में भी दिखा था।
इस पत्र में उस प्यार का असर दिख रहा है।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी किताब ‘आजाद-एन ऑटोबायोग्राफी’ के विमोचन की पूर्वसंध्या पर दिये साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री के साथ उनके अच्छे संबंध तब से हैं जब मोदी भाजपा के महासचिव थे। राज्यसभा से 15 फरवरी, 2021 को सेवानिवृत्त हुए आजाद ने कहा कि उच्च सदन से उनकी विदाई के समय 20 वक्ताओं ने भाषण दिया था और उनमें प्रधानमंत्री भी थे।
कुछ लोगों की सोच गंदी है
जब आजाद को याद दिलाया गया कि उन्हें मोदी के उक्त भाषण के तत्काल बाद भाजपा का एजेंट करार दिया गया था तो उन्होंने कहा, ‘‘यह अपमानजनक है। इसका मतलब है कि कुछ लोगों की सोच गंदी है। गंदे दिमाग वाले लोग ही ऐसी बातें कर सकते हैं।” आजाद ने अपनी किताब में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में भी लिखा है। उन्होंने कहा कि इस दौर में उन्हें प्रधानमंत्री को अंदर और बाहर से समझने का मौका मिला।
आजाद ने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष के रूप में मैंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्व के मुद्दों को उठाने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और सदन में हर बार प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी नेताओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार के कामकाज के खिलाफ मेरे कड़े शब्दों पर कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। मैंने पाया कि वह एक श्रेष्ठ श्रोता हैं जिनमें आलोचना सहन करने की क्षमता है।” आजाद ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 370, नागरिकता संशोधन अधिनियम और हिजाब के मुद्दों पर सरकार का विरोध किया था।
उन्होंने संसद में कांग्रेस पार्टी द्वारा किये जा रहे लगातार अवरोध की आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘वे किस मुंह से मतदाताओं के पास जाएंगे।” उन्होंने कहा, ‘‘संसद में मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने सुनिश्चित किया कि काम हो।” आजाद ने कहा कि उस समय के संसदीय रिकॉर्ड देखे जाने चाहिए जब लोकसभा में कामकाज अवरुद्ध था, लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही चल रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम विरोध नहीं कर रहे थे।
सरकार के खिलाफ कोई भाषण नहीं मिलेगा
सरकार के खिलाफ लोकसभा सदस्यों के बयान रिकॉर्ड में नहीं हैं, लेकिन राज्यसभा में सबकुछ रिकॉर्ड में है।” आजाद ने कहा कि राज्यसभा में उनके कार्यकाल के समानांतर लोकसभा के पांच साल के कामकाज को देखा जाए तो ‘‘आपको सरकार के खिलाफ मुश्किल से कोई भाषण मिलेगा क्योंकि वे रोजाना बहिष्कार कर देते थे और उन्हीं दिनों में (राज्यसभा में) सब कुछ रिकॉर्ड में मिलेगा।” आजाद ने कहा, ‘‘अगर कल कोई जानना चाहे कि लोकसभा में कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा था तो उनके पास दिखाने के लिए कुछ नहीं है।”
उन्होंने कहा कि संसद का बहिष्कार करने में भरोसा रखने वाले लोगों को इस बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या वे वाकई जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि आज शोर-शराबे में विधेयक पारित कर दिये जाते हैं क्योंकि सांसदों को चर्चा में रुचि नहीं है। आजाद ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए यह भी कहा, ‘‘मैं नहीं सुनता था और सुनिश्चित करता था कि सदन की कार्यवाही चले जबकि मेरी पार्टी के कुछ नेता खुश नहीं होते थे।”