राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने पार्टी के सभी प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला और फ्रंटल संगठनों को भंग कर दिया है। यह जानकारी सोमवार को पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से दी गई। जयंत का यह कदम विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अहम माना जा रहा है।
रालोद ने प्रदेश में सपा के साथ 33 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें से आठ सीटों पर ही विजय मिली। इनमें पार्टी को बागपत में मात्र छपरौली सीट से ही संतोष करना पड़ा, जबकि बागपत और बड़ौत सीटें पार्टी के गढ़ में मानी जाती हैं। कहा जा रहा है कि प्रत्याशियों के चयन से नाराज कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने भितरघात की। अब संगठन ऐसे लोगों की पहचान कर उनकी छंटनी करेगा।
जाटों का बंटना बड़ी चिंता
पार्टी को सबसे ज्यादा भरोसा जाट वोटरों पर था। पार्टी थिंक टैंक का मानना था कि मुस्लिमों के साथ अन्य जातियों के लोग भी इस बार रालोद से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा जाट भी वोट देंगे। पता चला कि मुस्लिमों ने तो जमकर वोट किया पर जाट वोट भाजपा की तरफ चले गए। हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले उसकी यह आठ गुना सफलता है। पिछले चुनाव में रालोद को मात्र छपरौली से ही संतोष करना पड़ा था। अब संगठन रूठे पदाधिकारियों को मनाकर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहा है।