झारखंड: सरना धार्मिक झंडा जलाने पर विवाद, आदिवासियों का बंद का एलान

आदिवासियों के धार्मिक झंडे (सरना झंडा) को जलाने पर झारखंड में हंगामा हो गया है। जनजातीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जनजातीय लोगों ने शनिवार को एक दिन के बंद का एलान किया है। रांची की सड़कों पर शनिवार को जनजातीय लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। लोग झंडा जलाने के आरोपियों की गिरफ्तारी करने और उन्हें कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। 

क्या है विवाद
बीती 25 मार्च को रांची के करम तोली के निचले इलाके में कुछ लोगों द्वारा सरना झंडा जलाने का मामला सामने आया था। हालांकि कई दिन बीत जाने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। ऐसे में आदिवासी लोगों ने घटना के विरोध में केंद्रीय सरना समिति के बैनर तले धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसके तहत शनिवार को पूरे प्रदेश में बंद का एलान किया गया है। जगह जगह आदिवासी लोग सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ जगहों पर सड़कों को जाम किया गया है। 

हिंदू धर्म से खुद को अलग मानते हैं सरना लोग
2011 की जनगणना के अनुसार, देश में आदिवासियों की आबादी करीब 11 करोड़ है। इनमें से 50 लाख आदिवासी सरना धर्म को मानते हैं और उनकी मांग है कि सरना को अलग धर्म माना जाए। सरना लोग खुद को हिंदू नहीं मानते और मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं। सरना लोग वर्ण व्यवस्था और स्वर्ग नरक में भी विश्वास नहीं करते। यही वजह है कि सरना लोग खुद को हिंदू नहीं मानते। सरना समुदाय के लोगों का कहना है कि वह प्रकृति पूजा करते हैं। अकेले झारखंड में सरना समुदाय के लोगों की संख्या करीब 42 लाख है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में सरना समुदाय के लोग रहते हैं। 

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