झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर लगभग समाप्ति की ओर है। हर दिन मिलने वाले मरीजों की संख्या 100 के नीचे आ गयी है। इसी बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कोरोना की तीसरी लहर (25 दिसंबर के बाद) में कुल 173 संक्रमितों की मौत हुई है।
विभाग द्वारा सभी मौतों का विश्लेषण किया जा रहा है। अब तक किए जा चुके 149 मौतों (86 प्रतिशत) के विश्लेषण से पता चला है कि कोरोना से मरने वालों में 45 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने कोरोना से बचाव का टीका नहीं लिया था। जबकि, मरने वालों में महज 15 प्रतिशत संक्रमित ही गंभीर बीमारियों (कोमॉर्बिड) के मरीज थे। ऊम्र की अधिकता और कोमॉर्बिडिटी आदि कारणों की वजह से मरने वाले लगभग 55 प्रतिशत संक्रमित ऐसे थे, जिन्होंने कोविड टीके की एक या दोनों डोज ली थी। इसमें 29 प्रतिशत ने केवल एक डोज, जबकि 26 प्रतिशत ने दोनों डोज ली थी।
रिम्स के पल्मोनरी विभाग के एचओडी सह नोडल अफसर कोविड डॉ ब्रजेश मिश्रा कहते हैं कि तीसरी लहर में कोरोना की गंभीरता को कम करने में टीकाकरण का बड़ा योगदान रहा। टीका ले चुके कोमॉर्बिडिटी के मरीजों में भी ओमीक्रोन की गंभीरता काफी कम देखी गयी। वहीं, जिन लोगों ने टीका नहीं लिया उनके लिए कम खतरनाक माने जाने वाली तीसरी लहर का ओमिक्रोन भी खतरनाक बन गया।
24 घंटे के अंदर 8 प्रतिशत मौत
कोरोना को हल्के में लेने के कारण कुछ लोगों को काफी विलंब से अस्पताल पहुंचाया गया। जिसकी वजह से तीसरी लहर में मरने वालों में 8 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जिनकी मौत अस्पताल पहुंचने के 24 घंटे के अंदर हो गयी। वहीं, 48 घंटे के अंदर 13 प्रतिशत और 21.42 प्रतिशत संक्रमतों की मौत हो गयी। जबकि, मृतकों में सर्वाधिक 48.30 प्रतिशत ऐसे थे, जिनकी मौत अस्पताल पहुंचने के 72 घंटे के बाद हुई है।
मरने वालों में 62 फीसदी बुजुर्ग
मृतकों के विश्लेषण से पता चला है कि तीसरी लहर में कोरोना से मरने वालों में सर्वाधिक 62.30 प्रतिशत बुजूर्ग थे, इनकी ऊम्र 60 वर्ष से अधिक थी। घटती ऊम्र के साथ ही मौत का प्रतिशत भी कम होता गया है। मृतकों में 45 से 59 वर्ष की हिस्सेदारी जहां 21.31, वहीं, 30 से 44 वर्ष की 6.56 और 15 से 29 आयुवर्ग के मृतकों की हिस्सेदारी महज 5.74 प्रतिशत थी। जबकि, मरने वालों में 0 से 14 वर्ष के बच्चे महज 4.10 प्रतिशत थे।