जस्टिस यू.यू. ललित की रजिस्ट्री अधिकारियों के साथ अहम बैठक

जस्टिस उदय उमेश ललित ने आज शनिवार 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के 79वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली. वह 75 दिनों तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे. चीफ जस्टिस ललित ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल में केसों की लिस्टिंग व सुप्रीम कोर्ट में जरूरी मामलों को मेंशन करने समेत तीन प्रमुख क्षेत्रों में काम करने का इरादा जताया. इसके अलावा उन्होंने कहा कि पूरे साल भर एक संवैधानिक बेंच सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत रहे, इसे सुनिश्चित किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिशन (SCBA) द्वारा आयोजित पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमन के विदाई समारोह में चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि लिस्टिंग को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा. चीफ जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त होगा. सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष होती है.

ऐसा रहा है चीफ जस्टिस यूयू ललित का अब तक का सफर

  • 9 नवंबर 1957 को जन्मे जस्टिस ललित ने जून 1983 में वकील के तौर पर नामांकन कराया और दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस किया. इसके बाद जनवरी 1986 में वह दिल्ली शिफ्ट हो गए और अप्रैल 2004 में वह सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट बने. सुप्रीम कोर्ट में 13 अगस्त 2014 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज बने.
  • 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले के ट्रॉयल में वह सीबीआई की तरफ से विशेष पब्लिक प्रोसेक्यूटर थे.
  • एक वकील के तौर पर वे सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह की पैरवी भी कर चुके हैं.
  • जस्टिस के तौर पर उन्होंने कई बड़े फैसले दिए जिसमें अगस्त 2017 में ट्रिपल तलाक को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने का फैसला शामिल है. यह फैसला 3:2 के बहुमत से पास हुआ था. तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर इस फैसले को छह महीने तक होल्ड करने के पक्ष में थे और सरकार से इसे प्रभाव में लाने के लिए कानून बनाने को कहा था. वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस ललित ने ट्रिपल तलाक के इस्तेमाल को संविधान का उल्लंघन बताया. जस्टिस खेहर, जस्टिस जोसेफ और जस्टिस नरीमन रिटायर हो चुके हैं.
  • जनवरी 2019 में उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. इस मामले में मुस्लिम पार्टी की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा था कि इससे जुड़े एक मामले में वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए वकील के तौर पर वह पेश हुए थे. इस वजह से ही जनवरी 2019 में उन्होंने इस मामले से खुद को अलग कर लिया था.
  • हाल ही में जस्टिस ललित की अध्यक्षता में एक बेंच नेएक घंटे पहले साढ़े नौ बजे ही बैठ गई थी. उन्होंने कहा था कि जब हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं तो जजों 9 बजे कोर्ट में क्यों नहीं बैठ सकते हैं.
  • 22 अगस्त को जस्टिस ललित की अध्यक्षता में एक बेंच ने आम्रपाली होमबॉयर्स के मामले की सुनवाई का समय शनिवार 3 सितंबर सुबह 10:30 से दोपहर एक बजे तक का समय रखा. सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को सुनवाई बंद रहती है.
  • जस्टिस ललित की अध्यक्षता में बेंच ने केरल के ऐतिहासिक श्री पद्नाभनस्वामी मंदिर के प्रबंधन अधिकार के मामले में त्रावणकोर के शाही परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया. यह देश के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार है.
  • जस्टिस ललित की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादित स्किन-टू-स्किन फैसले पर महत्वपूर्ण फैसला दिया था और फैसला सुनाया था कि सेक्सुअल इरादे से किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को छूना या किसी भी प्रकार का शारीरिक संपर्क शारीरिक शोषण है.

बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले दूसरे शख्स

जस्टिस ललित दूसरे ऐसे शख्स हैं जो बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे और अब देश की सबसे बड़ी अदालत के मुख्य न्यायााधीश बने हैं. इससे पहले जनवरी 1971 में जस्टिस एसएम सीकरी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने थे और वह पहले ऐसे वकील थे जो मार्च 1964 में बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल हुए थे.

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