जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कावेरी जल बंटवारे के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक हो गए। इस दौरान उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया राज्य में पानी की वर्तमान स्थिति की जांच के लिए कर्नाटक में एक टीम भेजें।
देवगौड़ा ने कहा, ‘मैं केंद्र से अनुरोध करता हूं कि वह कर्नाटक में एक टीम भेजें और उन्हें राज्य में पानी की वर्तमान स्थिति की जांच करने दें।’ उन्होंने आगे कहा कि वह राजनीति या सत्ता के लिए जिंदा नहीं हैं। वह यहां राज्य के लोगों को बचाने के लिए हैं, उनकी पार्टी भी इसी के लिए है।
जेडीएस प्रमुख ने उस पत्र की प्रति जारी की जो उन्होंने कर्नाटक के जलाशयों से तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने के मामले में कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहे विवादों और मतभेदों को हल करने के मुद्दों पर प्रधानमंत्री को लिखा था। इसमें अपील की गई थी कि जल शक्ति विभाग को एक समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए। साथ ही पानी और खड़ी फसल की स्थिति का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति को कर्नाटक भेजा जाना चाहिए।
112 टीएमसी की आवश्यकता
देवगौड़ा ने कहा कि कर्नाटक में कावेरी बेसिन के सभी चार जलाशयों में 23 सितंबर तक उपलब्ध संयुक्त भंडारण केवल 51.10 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) है, जबकि खड़ी फसलों और पीने के पानी के लिए 112 टीएमसी की आवश्यकता है। याचिका में कहा गया है, ‘अब तक 40 टीएमसी से अधिक अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए दबाव बनाने में तमिलनाडु का रवैया न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि समानता और प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ भी है।’
एक समिति का हो गठन
गौड़ा ने सुझाव दिया कि कावेरी विवाद को लेकर कर्नाटक में एक टीम भेजें और उन्हें राज्य में पानी की वर्तमान स्थिति की जांच करने दें। बाद में यह टीम कावेरी जल नियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के समक्ष अध्ययन की रिपोर्ट पेश करे ताकि पक्षकार राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय समिति गठित करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि एक ऐसी समिति का गठन किया जाए, जो पार्टी, राज्यों और केंद्र सरकार से नहीं जुड़ी हो। समिति को मौजूदा जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु के जलाशयों का भी दौरा करना चाहिए।
यह है मामला
गौरतलब है, सीडब्ल्यूआरसी ने 12 सितंबर को दिए अपने आदेश में कर्नाटक को अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को हर दिन 5,000 क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया था। सीडब्ल्यूआरसी ने इस आदेश को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इन आदेशों में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। वहीं, कर्नाटक सरकार ने पानी देने से इनकार कर दिया है।
कर्नाटक का कहना है कि वह कावेरी नदी घाटी क्षेत्रों में खड़ी फसलों के लिए सिंचाई के पानी और पेयजल की अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि मानसून में कम बारिश के कारण पानी की कमी हो गई है। शुक्रवार को इसके चलते चित्रदुर्ग, बल्लारी, दावणगेरे, कोप्पल और विजयपुरा जैसे जिलों में भी विरोध प्रदर्शन हुआ।