केजरीवाल: ईडी हिरासत में पत्र लिखने पर दर्ज हो सकता है केस

शराब घोटाले में ईडी की हिरासत में बंद अरविंद केजरीवाल अब एक नई मुसीबत में फंस सकते हैं। हिरासत से लिखित आदेश जारी करने के मामले में उन पर नई गाज गिर सकती है। कानूनी रूप से वे हिरासत में रहते हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं कर सकते। लेकिन अब तक दो ऐसे पत्र सामने आ चुके हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उस पर अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर किए हैं। यदि यह सिद्ध हो जाता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी की हिरासत में रहते हुए उक्त आदेश पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं, तो इस मामले में उन पर नया केस दर्ज किया जा सकता है।

वहीं, यदि बिना उनके हस्ताक्षरित पत्रों को उनका पत्र बताकर मीडिया के सामने पेश किया गया है, तो इस मामले में वे लोग (आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज) फंस सकते हैं, जिन्होंने उक्त पत्रों को केजरीवाल का पत्र बताकर मीडिया के सामने पेश किया है। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से इस बात पर लिखित शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले की जांच हो सकती है।

ये कहना है कानूनी विशेषज्ञों का

वरिष्ठ वकील आभा सिंह ने अमर उजाला से कहा कि नियमों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में रहते हुए कोई व्यक्ति इस तरह से पत्रों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता। किसी विशेष परिस्थिति में जब संबंधित व्यक्ति के वकील उससे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करवाते हैं, तो इस विषय में जेल अधिकारियों को पूर्व सूचना देना आवश्यक है। यदि बिना अधिकारियों को जानकारी दिए ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं, तो यह एक अपराध की श्रेणी में आता है और इस मामले में जांच की जा सकती है।

आभा सिंह ने कहा कि यदि किसी पत्र पर अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन बाहर किसी व्यक्ति ने किसी पत्र को उनका पत्र बताकर जनता के सामने पेश कर दिया है, तो यह एक फ्रॉड की श्रेणी में आता है। इस मामले में उस पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया जा सकता है। हालांकि, इस मामले में असलियत में क्या हुआ है, यह जांच के बाद ही कहा जा सकता है।    

इस कोशिश में आप

दरअसल, आम आदमी पार्टी लगातार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में जेल जाने के बाद भी दिल्ली के लोगों के बारे में चिंतित हैं। वे लगातार दिल्ली की जनता की भलाई के लिए नए-नए आदेश जारी कर रहे हैं। इसके पहले दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी मार्लेना ने कथित तौर पर अरविंद केजरीवाल द्वारा हस्ताक्षर किया गया एक पत्र 24 मार्च को दिखाते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली में गर्मियों के दौरान सबको साफ जल उपलब्ध कराने पर चिंता जताई है। उन्होंने इस गर्मी में सबको साफ जल उपलब्ध कराने और सीवर संबंधी समस्याओं के लिए आवश्यक तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।  

इसी प्रकार 26 मार्च को दिल्ली सरकार के एक और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कथित तौर पर अरविंद केजरीवाल द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र दिखाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली के हर मोहल्ला क्लीनिक, अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। आम आदमी पार्टी के इन प्रयासों का उद्देश्य जनता का समर्थन पाना था, लेकिन इसके बाद भाजपा इन पत्रों को लेकर हमलावर हो गई।  

भाजपा के आरोप

दिल्ली भाजपा ने मंगलवार को अरविंद केजरीवाल के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में पार्टी ने अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की। इस प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि उक्त पत्रों के जरिए दिल्ली की जनता को धोखा देने की कोशिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर थे, तब भी वे लोगों को धोखा दे रहे थे, अब जब कि वे जेल में बंद हो गए हैं, फर्जी पत्रों के जरिए दिल्ली की जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कानूनन कोई भी नेता ईडी की हिरासत में बंद होने के बाद इस तरह का आदेश जारी नहीं कर सकता। यदि ये पत्र सही हैं, तो अरविंद केजरीवाल ने ये पत्र कैसे लिखे, इसकी जांच होनी चाहिए। और यदि ये पत्र फर्जी हैं और अरविंद केजरीवाल ने नहीं लिखे हैं, तो उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए जो एक पत्र को फर्जी तरीके से मुख्यमंत्री का पत्र बता रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी का मामला है, और इस पर जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।

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