आजादी के बाद खादी की अनदेखी हुई : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिवसीय गुजरात दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने साबरमती नदी पर फुट ओवर ब्रिज ‘अटल पुल’ का उद्धाटन किया। वे रविवार को कच्छ के अंजार कस्बे में वीर बालक स्मारक का भी अनावरण करेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा कि साबरमती के ये किनारा आज धन्य हो गया है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 7,500 बहनों-बेटियों ने एक साथ चरखे पर सूत कातकर नया इतिहास रच दिया है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी कुछ पल चरखे पर सूत कातने का मिला।

खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की नई बिल्डिंग का उद्घाटन
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यहां मौजूद सभी लोग, इस आयोजन को देख रहे सभी लोग आज यहां ‘खादी उत्सव’ की ऊर्जा को महसूस कर रहे होंगे। आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने आज ‘खादी उत्सव’ करके अपने स्वतंत्रता सेनानियों को बहुत सुंदर उपहार दिया है। उन्होंने कहा कि आज ही गुजरात राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की नई बिल्डिंग और साबरमती नदी पर भव्य अटल ब्रिज का भी लोकार्पण हुआ है। मैं गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

खादी प्रेरणा-स्रोत बन सकता है
उन्होंने कहा कि अटल ब्रिज, साबरमती नदी को, दो किनारों को ही आपस में नहीं जोड़ रहा, बल्कि ये डिजाइन और इनोवेशन में भी अभूतपूर्व है। इसकी डिजाइन में गुजरात के मशहूर पतंग महोत्सव का भी ध्यान रखा गया है। इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा, आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत बन सकता है।

आजादी के 75 वर्ष का भी जिक्र किया
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले गुजरात सहित पूरे देश ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर बहुत उत्साह के साथ अमृत महोत्सव मनाया है। गुजरात में भी जिस प्रकार गांव-गांव, गली-गली हर घर तिरंगे को लेकर उत्साह, उमंग और चारो तरफ मन भी तिरंगा, तन भी तिरंगा, जज्बा भी तिरंगा उसकी तस्वीरें हम सभी ने देखी हैं।

‘पंच प्रण’ को दोहराया
पीएम मोदी ने इस दौरान ‘पंच प्रण’ को दोहराया। उन्होंने कहा कि मैं ‘पंच प्रण’ को फिर से दोहराना चाहता हूं-
1- विकसित भारत बनाने का लक्ष्य
2- गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह से त्याग
3- अपनी विरासत पर गर्व
4- राष्ट्र की एकता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास
5- हर नागरिक का कर्तव्य

उन्होंने कहा कि आज का ये ‘खादी उत्सव’ इन पंच प्रण का एक सुदंर प्रतिबिंब भी है। आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया। इस वजह से खादी और खादी से जुड़ा ग्रामोद्योग पूरी तरह तबाह हो गया। खादी की ये स्थिति विशेष रूप से गुजरात के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी।

उन्होंने कहा कि हमने खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन में खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन का संकल्प जोड़ा। हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरू किया। देशभर में खादी से जुड़ी जो समस्याएं थीं, उनको दूर किया गया। हमने देशवासियों को खादी के प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा कि आज भारत के टॉप फैशन ब्रांड खादी से जुड़ने के लिए खुद सामने आ रहे हैं। आज भारत में खादी का रिकॉर्ड उत्पादन और रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। पिछले 8 वर्षों में खादी की बिक्री में 4 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। आज पहली बार भारत के खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर चला गया है।

भारत में खादी का रिकॉर्ड उत्पादन और बिक्री हो रही
उन्होंने कहा कि आज भारत के टॉप फैशन ब्रांड खादी से जुड़ने के लिए खुद सामने आ रहे हैं। आज भारत में खादी का रिकॉर्ड उत्पादन और रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। पिछले 8 वर्षों में खादी की बिक्री में 4 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। भारत के खादी उद्योग की बढ़ती ताकत के पीछे भी महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। उद्यमिता की भावना हमारी बहनों-बेटियों में कूट-कूट कर भरी है। इसका प्रमाण गुजरात में सखी मंडलों का विस्तार भी है।

खादी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है
उन्होंने कहा कि खादी sustainable clothing का उदाहरण है। खादी eco-friendly clothing का उदाहरण है। खादी से carbon footprint कम से कम होता है। बहुत सारे देश हैं जहां तापमान ज्यादा रहता है, वहां खादी Health की दृष्टि से भी बहुत अहम है। इसलिए खादी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है।

खादी हमारे इतिहास, विरासत का अभिन्न हिस्सा
उन्होंने कहा कि जो देश अपना इतिहास भूल जाते हैं, वो देश नया इतिहास बना भी नहीं पाते हैं। खादी हमारे इतिहास, विरासत का अभिन्न हिस्सा है। जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं, तब दुनिया भी उसे मान और सम्मान देती है।

विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौनों में गिरावट आई
उन्होंने कहा कि बीते दशकों में विदेशी खिलौनों की होड़ में, भारत की अपनी समृद्ध Toy Industry तबाह हो रही थी। सरकार के प्रयास से, खिलौना उद्योगों से जुड़े हमारे भाई-बहनों के परिश्रम से अब स्थिति बदलने लगी है। अब विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौनों में भारी गिरावट आई है।

देशवासियों से की खास अपील
उन्होंने कहा कि मैं देशभर के लोगों से एक अपील भी करना चाहता हूं। आने वाले त्योहारों में इस बार खादी ग्रामोद्योग में बना उत्पाद ही उपहार में दें। आपके पास अलग-अलग तरह के फैब्रिक से बने कपड़े हो सकते हैं। लेकिन उसमें आप खादी को भी जगह देंगे, तो वोकल फॉर लोकल अभियान को गति मिलेगी।

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