मध्य प्रदेश: संत रविदास यात्रा के रथ रवाना,भाजपा का दलित वोटरों पर फोकस

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव है। इससे पहले भाजपा हर वर्ग के वोटरों को साधने में जुटी है। आदिवासी वोटरों को साधने रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकालने के बाद अब भाजपा ने संत रविदास समरसता यात्रा के रथों को भोपाल से रविवार को रवाना किया। यह रथ अनुसूचित जाति वोटरों की विधानसभा होते हुए पांच स्थानों पर पहुंचेंगे। जहां से 25 जुलाई को भाजपा के वरिष्ठ नेता रथों के माध्यम से संत रविदास समरसता यात्रा को सागर के लिए रवाना करेंगे। जहां 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में संत रविदास महाराज का मंदिर के निर्माण का शिलान्यास किया जाएगा।

100 करोड़ में होगा मंदिर का निर्माण
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रदेश में संत रविदास जी के सामाजिक समरसता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएंगी। सागर में बनने वाला भव्य संत रविदास मंदिर सामाजिक समरसता का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने मैहर में सामाजिक समरसता के केंद्र संत श्री रविदास जी के मंदिर साढ़े 3 करोड़ की लागत से बनाया है, जिसके बाद अब सागर में 100 करोड़ की लागत से संत रविदास जी का भव्य मंदिर बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार संत रविदास जी के विचारों को जमीन पर उतारने का काम कर रही है।

55 हजार गावों की मिट्टी एकत्रित की जाएगी 
25 जुलाई से शुरू होने वाली यह यात्राएं 18 दिनों तक प्रदेश में भ्रमण कर आमजन को संत रविदास जी के मंदिर से जोड़ेंगी।  यात्राओं के माध्यम से प्रदेश के 55 हजार गांवों से मिट्टी और 350 से अधिक नदियों से जल एकत्रित किया जाएगा। 12 अगस्त तक प्रदेश के 5 स्थानों से 45 जिलों में संत शिरोमणि रविदास मंदिर निर्माण समरसता यात्राएं पहुंचेंगी एवं 7 जिलों में उपयात्राएं निकलेंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता इन यात्राओं को रवाना करेंगे।

कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति की
भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने कहा कि दलितों और पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वाली कांग्रेस देश में 70 सालों से अधिक सत्ता में रही, लेकिन कभी भी उसे संत रविदास, वाल्मिकी, कबीरदास और भीमराव अंबेडकर जी की याद नहीं आई। उनके लिए अनुसूचित वर्ग सिर्फ एक वोटबैंक रहा।

यह है सियासी गणित 
प्रदेश की करीब आठ करोड़ आबादी में से 15.6 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। प्रदेश में 230 सीटों में से 35 सीटें अनूसचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 2003 और 2013 तक अनुसूचित जाति वर्ग का साथ मिलने पर भाजपा सत्ता में काबिज रही, लेकिन 2018 में इस वर्ग के छिटकने से भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई। इस वर्ष कांग्रेस ने 18 और भाजपा ने 17 सीटें जीती थी। जबकि 2013 में भाजपा के पास 28 सीटें थी।

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