बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि प्रदेश सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य को भूल गई है। याचिका पर शीघ्र सुनवाई की संभावना है।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि नागरिक को संकट से उभार कर जीवन बिताने में सहायता प्रदान करना सरकार का संवैधानिक अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 21 में नागरिकों को जीवन यापन का अधिकार प्रदान किया गया है, जिसकी पूर्ति करना सरकार का कर्तव्य है। कोरोना काल में लाखों परिवार आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में बिजली दर बढ़ाने को प्रस्तावित करना संविधान का उल्लंघन माना जाएगा।
याचिका में मांग की गई है कि सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते ह़ए विद्युत अधिनियम की धारा 108 का प्रयोग करे। विद्युत नियामक आयोग को बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज करने के लिए सरकार दिशा-निर्देश जारी करे। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता प्रभात यादव ने याचिका दायर की है।