ममता ने फिर की राज्यपाल की अवहेलना, पेगासस मामले में नहीं दी जानकारी

दो सप्ताह बाद भी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अभी भी पेगासस जांच आयोग के दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं. ऐसे में राज्यपाल ने सोमवार को फिर से ट्विटर पर राज्य को चेतावनी दी. उन्होंने दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार राज्य सरकार उन्हें इस बारे में सूचित करने के लिए बाध्य है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पेगासस घोटाले की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी है, लेकिन राज्यपाल अभी तक राज्य सरकार के साथ विवाद खत्म करने पर राजी नहीं हैं. शुक्रवार को शीर्ष अदालत द्वारा आयोग के काम पर रोक लगाने के बाद उन्होंने राज्य से फिर से दस्तावेज मांगे थे, लेकिन दस्तावेज नहिं मिलने पर फिर सीएम ममता बनर्जी को पत्र लिखा है.

राज्यपाल धनखड़ ने बुधवार को इस बात पर निराशा जतायी थी कि मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने उनके पत्र पर ‘‘संज्ञान तक नहीं लिया’’ जिसमें उन्होंने स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर पेगासस का उपयोग करके फोन टैप करने की कथित घटना की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति की जानकारी मांगी थी. धनखड़ ने कहा था कि वह राज्य सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित समिति की अधिसूचना बृहस्पतिवार शाम तक सार्वजनिक करें.

संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी देने के लिए राज्य सरकार है बाध्य

राज्यपाल ने सोमवार को ट्विटर पर लिखा, “संविधान के अनुच्छेद 167 के मुताबिक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को 26 जुलाई 2021 को जांच आयोग के गठन और उसके कामकाज के संबंध में एक सर्कुलर जमा करना है, लेकिन वे इस संबंध में कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं.” 26 जुलाई को, राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन लकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य से जुड़े पेगासस मामले में दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था. सरकार के अनुसार जांच अधिनियम (1952) के तहत सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति लोकुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया है.

राज्यपाल ने पहले भी मांगी थी जानकारी, अभी तक नहीं मिली

राजभवन ने छह दिसंबर को आधिकारिक अधिसूचना और संबंधित दस्तावेज भेजे थे. इसे 16 दिसंबर तक राजभवन भेजने का अनुरोध किया गया था. राज्यपाल ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन के आला अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी. राज्यपाल धनखड़ ने पहले भी संविधान के अनुच्छेद 167 का बार-बार उल्लेख किया है और कहा है कि राज्य सरकार की सभी गतिविधियों के बारे में उन्हें सूचित करना नियम है. इस संदर्भ में, कुछ संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यपाल केवल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, लेकिन यह मुख्यमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह उसे सरकार के कामकाज के बारे में सूचित करे.

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