मनी लॉन्ड्रिंग: सुप्रीम कोर्ट ने सीएम सोरेन द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लग दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और सीएम सोरेन द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने सोरेन के खिलाफ जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को स्वीकार किया था। सोरेन पर राज्य का खनन मंत्री रहने के दौरान खुद को खनन पट्टा आवंटित करने का आरोप है। न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनीं।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की कार्यवाही रोकी 
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दोनों पक्षों के वकीलों को सुना है। आदेश सुरक्षित रखा गया है। चूंकि अदालत मामले पर सुनवाई कर रहा है, इसलिए उच्च न्यायालय मामले पर आगे नहीं बढ़ेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका की एक प्रति और पक्षों द्वारा दी गई दलीलों को रिकॉर्ड में रखा जाए। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को खनन पट्टा आवंटित किया। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें हितों के टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया।

विवाद का संज्ञान लेते हुए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेजकर खनन और पर्यावरण विभागों को इस खनन पट्टे पर अपना पक्ष रखने को कहा था। चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा था कि पट्टे का स्वामित्व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन करता है, जो सरकारी अनुबंधों आदि के लिए अयोग्यता से संबंधित है। यह मामला अभी भी चुनाव आयोग के पास लंबित है। झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में खनन पट्टे के अनुदान में अनियमितताओं और मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों से कथित रूप से जुड़ी कुछ मुखौटा कंपनियों के लेनदेन की जांच की मांग की गई थी।

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