मुजफ्फरनगर: कोर्ट में सुनाई रामपुर तिराह कांड में पुलिस की बर्बरता

मुजफ्फरनगर में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट 7 में रामपुर तिराहा कांड के मामले में मंगलवार को चश्मदीद की गवाही हुई। 29 साल पुराने मुकदमे में घटना के चश्मदीद गवाह ने सीबीआई के लगाए गए आरोपों का समर्थन किया। उस समय आंदोलनकारियों पर पुलिस की बर्बरता की कहानी को दोहराया। दो चश्मदीद गवाह की मौत होने के चलते उन्हें केस से डिस्चार्ज (उन्मोचित) कर दिया गया। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 19 मई निर्धारित की है।

01 और 02 अक्टूबर 1994 की रात को पृथक उत्तराखंड गठन की मांग को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए लोगों को छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था। रात के समय पुलिस की गोली से 7 आंदोलनकारी मारे गए थे। जबकि कई महिलाओं के साथ रेप किए जाने का आरोप भी लगा था। सीबीआई ने मामले की विवेचना कर कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल की थी।

हाईकोर्ट के आदेश पर घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 7 शक्तिसिंह कर रहे हैं। उन्होंने सभी 24 आरोपियों को कोर्ट में तलब किया था। लेकिन सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार चार आरोपी की मौत हो चुकी है। एडीजीसी परविंदर सिंह ने बताया कि मंगलवार को कोर्ट में रामपुर तिराहा कांड के चश्मदीद गवाह उत्थान कुमार शर्मा की गवाही हुई।

उन्होंने बताया कि उत्थान कुमार शर्मा ने सीबीआई के आरोपों का समर्थन करते हुए बताया कि किस तरह पुलिस आंदोलनकारियों को घसीट कर ले जा रही थी। उस समय उनकी आयु मात्र 16 वर्ष थी। सीबीआई लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने कोर्ट को बताया कि मामले के दो चश्मदीद गवाह वेद पांडे पहलवान और महेंद्र सिंह की मृत्यु हो चुकी है। जिन्हें कोर्ट के आदेश पर मुकदमे से उन्मोचित घोषित किया गया।

इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 19 मई निर्धारित की है। एडीजीसी परविदर सिंह ने बताया कि मंगलवार को चार आरोपियों की ओर से हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। बाकी सभी आरोपी कोर्ट में उपस्थित रहे।

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