नीट पीजी काउंसलिंग: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

NEET PG काउंसिलिंग पर गुरुवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. सभी पक्षों को लिखित नोट जमा करवाने के लिए कल तक का समय दिया गया है. केंद्र ने मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन में इस साल से लागू 27 प्रतिशत ओबीसी और 10 प्रतिशत आर्थिक कमज़ोर वर्ग आरक्षण को सही ठहराते हुए काउंसिलिंग शुरू करने की अनुमति मांगी है. वहीं याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग कारण बताते हुए नई आरक्षण नीति को लागू करने से रोकने की मांग की है.

केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि 2019 में ही इस तरह के आरक्षण का फैसला लिया गया था. UPSC समेत कई जगहों पर यह लागू हुआ है. इसका उद्देश्य कमज़ोर वर्ग का उत्थान है. NEET PG मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने EWS को 10 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि 2006 में गठित सिन्हो आयोग ने व्यापक अध्ययन कर 2010 में रिपोर्ट दी. हर राज्य सरकार से बात की. यह बताया कि आर्थिक कमज़ोर के आकलन के लिए हर राज्य में अलग पैमाना तय करने की ज़रूरत है. वहीं मौजूदा सरकार ने अजय भूषण पांडे कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर पूरे देश में 8 लाख रुपए का मानक तय कर दिया. यह भी नहीं देखा गया कि कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य वर्ग की आबादी बहुत कम है.

दातार के बाद वकील श्रीरंग चौधरी और आनंद ग्रोवर ने दलीलें रखीं. चौधरी ने ओबीसी की पहचान के साथ आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के आकलन में कमियों की बात कही. वरिष्ठ वकील ग्रोवर ने कहा कि EWS के लिए आय सीमा 8 लाख की बजाय 5 लाख रुपए सालाना रखी जाए. सुनवाई के दौरान फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा हर साल पीजी में 45 हजार नए दाखिले होते हैं. इस साल काउंसिलिंग न होने से जूनियर डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है. कोर्ट ने इसको लेकर चिंता पर सहमति जताई. 

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