जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने के लिए पाकिस्तान से वार्ता के अलावा कोई रास्ता नहीं: अब्दुल्ला

जम्मू। नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा दो पुलिसकर्मियों की हत्या को एक ‘दुखद कहानी’ बताते हुए शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस बयान पर भी आपत्ति जताई कि खुले में ‘नमाज’ करने की प्रथा को ‘‘बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’’ और उनसे मुसलमानों को नमाज के लिए जगह मुहैया कराने को कहा क्योंकि संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री यहां पार्टी के एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

शुक्रवार को उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों द्वारा दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बारे में एक सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘…आपको लगता है कि हम खुश हैं कि वे लोगों को मार रहे हैं? यह एक दुखद कहानी है और सरकार कह रही है कि सब कुछ अच्छा चल रहा है। क्या यह अच्छा चल रहा है? क्या लोग सुरक्षित हैं? जब आपके पुलिस कर्मी सुरक्षित नहीं हैं तो एक आम आदमी कैसे सुरक्षित है?

बांदीपोरा जिले में शुक्रवार को एक पुलिस दल पर हुए आतंकवादी हमले में दो कर्मी शहीद हो गये थे, जिसकी विभिन्न राजनीतिक दलों ने व्यापक निंदा की। आतंकवादियों ने शाम को गुलशन चौक पर पुलिस टीम पर गोलीबारी की थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब भी पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर देते हैं, अब्दुल्ला ने जवाब दिया, ‘‘आपको बात करनी होगी। कोई रास्ता नहीं है (आतंकवाद को खत्म करने के लिए)।”

श्रीनगर से नेकां सासंद अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘आप चीन से बात कर सकते हैं। आप इसके बारे में क्या कहते हैं? चीन आ रहा है और हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है। वे उस इलाके में अपने घर बना रहे हैं। भारत सरकार को यह समझने के लिए संसद में चर्चा की अनुमति देनी चाहिए कि चीनी क्या कर रहे हैं।’’

जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर देकर, वह उन पाकिस्तानी आतंकवादियों को ‘क्लीन चिट’ दे रहे हैं, जो लोगों को मार रहे हैं, तो अब्दुल्ला ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘आप पत्रकार नहीं हैं। आपका रवैया सांप्रदायिक है।’’

हरियाणा के मुख्यमंत्री के बयान के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि देश में धार्मिक सहिष्णुता है और संविधान धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह खुली जगह में नमाज की अनुमति नहीं देते है, तो उन्हें एक ऐसी जगह बनाने दें जहां वे नमाज पढ़ सकें।’’

उन खबरों पर कि जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने 20 दिसंबर को नेशनल कांफ्रेंस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पांच सांसदों के साथ दिल्ली में बैठक बुलाई है, उन्होंने कहा कि पार्टी को अब तक कोई आमंत्रण पत्र नहीं मिला है।

इस सवाल पर कि क्या उनकी पार्टी बैठक में कश्मीरी प्रवासी पंडितों के लिए राजनीतिक आरक्षण के लिए दबाव डालेगी, उन्होंने कहा, ‘‘पत्र आने दो … हम वहां क्या करेंगे, मुझे वहां अपनी बात कहनी होगी।’’

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