राष्ट्रीय उच्च पथों की तर्ज पर, बिहार में मजबूत होगी सड़कें

राष्ट्रीय उच्च पथों की तर्ज पर बिहार के राजकीय उच्च पथों (स्टेट हाईवे) के रखरखाव की भी नीति बनेगी। सड़कों पर गाड़ियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए पथ निर्माण विभाग ने उसे चौड़ा करने के लिए यह निर्णय लिया है। विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया है। एक-दो महीने में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। नीति का नाम एसएच एक्शन प्लान 2021-25 दिया गया है। अर्थात अगले पांच सालों में सड़कों पर होने वाले वाहनों के दबाव का अध्ययन कर उसी के अनुसार सड़कों का चौड़ीकरण होगा। 

बीते दिनों हुई समीक्षा में पाया गया कि राज्य के कई इलाके ऐसे हैं जहां एसएच और जिले की महत्वपूर्ण सड़कें यानी एमडीआर अब अनुपयुक्त साबित हो रही है। खासकर जिस तरह से सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बढ़ा है, उससे सड़कों को और चौड़ीकरण की जरूरत है। कई इलाके में एसएच और एमडीआर पर भीषण जाम की समस्या हो रही है। कुछ ऐसे भी इलाके हैं जहां आबादी का घनत्व तेजी से बढ़ा है। विशेषकर अर्धशहरी इलाकों के विस्तार होने के कारण एसएच और एमडीआर पर वाहनों का दबाव भी बढ़ गया है। इसे देखते हुए ही राज्य उच्च पथों और एमडीआर को चौड़ा कर उसे विस्तार देने का निर्णय लिया गया है। नीति बनाने के लिए पथ निर्माण विभाग ने इंजीनियरों को कहा है कि वे इलाकेवार एसएच और एमडीआर की मौजूदा स्थिति और भविष्य में उस पर होने वाले दबाव का आकलन कर विस्तार पर काम करें। 15 दिनों के भीतर इसकी रिपोर्ट विभाग ने मांगी है।

नीति में होगा यह

एसएच के लिए बन रही नीति में सड़कों के रखरखाव की कार्ययोजना रहेगी। साथ ही महत्वपूर्ण और वाहनों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर सड़कों के चौड़ीकरण की भी नीति रहेगी। निर्माण होने वाली सड़कों की गुणवत्ता कैसे बेहतर हो, इसका प्रावधान नीति में रहेगा। साथ ही बन चुकी सड़कों को कैसे गुणवत्तापूर्ण रखा जा सकेगा, यह भी नीति में तय होगा। 

एनएच में बिहार की कम भागीदारी

बिहार में उच्च पथों की लंबाई विगत वर्षों में बढ़ी है पर अभी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। साल 2005 में 3537 किमी से 2019 में 5358 किमी उच्च पथ हो गए, लेकिन राष्ट्रीय उच्च पथों की लंबाई देश की तुलना में बिहार में कम बढ़ी है। 2005 में बिहार की एनएच में हिस्सेदारी 5.4 फीसदी थी जो 2020 में घटकर 4 फीसदी हो गई। यह दीगर है कि बिहार में राष्ट्रीय उच्चपथों की लंबाई प्रति 100 वर्ग किमी पर 2005 के 3.8 किमी से बढ़कर 2019 में 5.7 किलोमीटर हो गयी। महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के उच्चपथों की लंबाई को जोड़ दें तो देश के कुल हिस्से की 30 फीसदी इन्हीं के खाते में है। जबकि हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में प्रति 100 किमी क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे अधिक एनएच है। 

स्टेट हाईवे के लिए नीति बनाने का मकसद एसएच के नेटवर्क को बढ़ाना है। जिलों की महत्वपूर्ण सड़कों पर बढ़ते दबाव को देखते हुए उसे चौड़ा करने की जरूरत है। एसएच घोषित होने पर ऐसी सड़कों को आसानी से चौड़ा किया जा सकेगा।

– 5948 किमी है राष्ट्रीय उच्च पथ
– 4000.5 किमी है राज्य उच्च पथ  
– 757.13 किमी एसएच में सिंगल लेन
– 570.23 किमी है इंटरमीडिएट लेन
– 2654.64 किमी है टू लेन सड़क 
– 23.56 किमी है टू लेन से अधिक 

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