जदयू नियोजित तरीके से संसद में केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना से इनकार के बाद मुखर कर रहा है। बिहार के बाद देश स्तर पर भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस मुद्दे की समर्थक पार्टियां एकजुट हो सकती हैं।
संसद में केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना से इनकार के बाद जदयू नियोजित तरीके इस मुद्दे को मुखर कर रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे कि हमें अपनी बात तो रखनी ही है। जाति आधारित जनगणना का निर्णय को लेना और नहीं लेना केंद्र सरकार का विषय है। यह तस्वीर भी सामने आ रही कि बिहार के बाद देश स्तर पर भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस मुद्दे की समर्थक पार्टियां एकजुट हो सकती हैं। नीतीश कुमार के आगे आने के बाद देश के कई राज्यों में जाति आधारित जनगणना का स्वर तेज हुआ है। महाराष्ट्र और ओडिशा में भी यह बात शुरू हो गई है।
पिछली सदी के नौवें दशक में ही नीतीश कुमार जाति आधारित जनगणना के समर्थन में आगे आए थे। अब जदयू ने नियोजित तरीके से इस विषय को आगे किया है। जिस दिन संसद में जातिगत जनगणना नहीं कराने की बात आई, उसी दिन नीतीश कुमार ने मुखर होकर कहा कि यह जरूरी है और होना चाहिए। दिलचस्प यह रहा कि बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में नीतीश कुमार के इस स्टैंड को विपक्ष का समर्थन मिल गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ही सबसे पहले सदन में यह कहा कि जाति आधारित जनगणना के मसले पर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर इस संबंध में अपनी बात कहे। यहीं से बात ने नया एंगल ले लिया। नीतीश कुमार मानसून सत्र के दौरान ही विधानसभा स्थित अपने कक्ष में तेजस्वी यादव सहित कांग्रेस और वाम दलों से इस मुद्दे पर मिले। लंबी अवधि बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में किसी अभियान पर एकजुटता दिखाई। यह भी पढ़ें