विवादित वकील को एडवोकेट जनरल बनाने का विरोद

पंजाब के नवनियुक्त एडवोकेट जनरल अमर प्रीत सिंह देओल (एपीएस देओल) ने सोमवार शाम राज्य के नए एजी का पदभार संभाल लिया। इस मौके पर उनके परिवार के सदस्य और करीबी मित्र उपस्थित रहे। पंजाब सरकार ने शनिवार को एडवोकेट जनरल के पद पर सीनियर एडवोकेट देओल की नियुक्ति की सिफारिश करते हुए उनका नाम राज्यपाल को भेज दिया था।

इस बीच, देओल की एजी पद पर नियुक्ति को लेकर राज्य में सियासी बवाल भी खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों ने देओल की नियुक्ति का जोरदार विरोध किया है। दरअसल, एडवोकेट देओल पंजाब सरकार के खिलाफ कई महत्वपूर्ण केसों की पैरवी कर रहे हैं, जिनमें बेअदबी मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी व परमराज उमरानंगल का केस भी शामिल है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी देओल सुमेध सैनी के वकील हैं और उन्होंने ही हाईकोर्ट में पंजाब सरकार की आपत्तियों का खारिज कराते हुए सैनी के खिलाफ जारी कार्रवाई पर 2022 के चुनाव तक रोक लगवाई है।

उल्लेखनीय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के तुरंत बाद एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने भी अपने पद से 19 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। तब से खाली चल रहे पद पर कई नामों पर सरकार ने विचार किया था। यह भी उल्लेखनीय है कि 2017 में अमर प्रीत देओल को एडवोकेट जनरल लगाने की चर्चा हुई थी लेकिन बाद में कैप्टन के करीबी अतुल नंदा को यह पद दे दिया गया।

अब इंसाफ की उम्मीद नहीं: भाजपा
पंजाब भाजपा के प्रदेश महामंत्री डॉ. सुभाष शर्मा ने कांग्रेस सरकार द्वारा कोटकपूरा गोली कांड के आरोपियों के वकील अमरप्रीत सिंह को ही पंजाब का एडवोकेट जनरल लगाए जाने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि अब पंजाबियों को इस सरकार से इंसाफ की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर पंजाब से धोखा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बेअदबी और गोलीकांड का इंसाफ देने का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस की नीयत इस मामले में साफ नहीं है। पहले साढ़े चार साल कैप्टन इस मामले को लटकाते रहे और अब नए मुख्यमंत्री ने देओल की नियुक्ति कर साफ संदेश दिया है कि कांग्रेस के लिए यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है।

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