वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि आज के समय में लोग रामराज्य और धर्मनिरपेक्षता को सही मायनों में नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘गांधीजी रामराज्य के बारे में जो सोचते थे वह उससे अलग है जिसे आज के समय में लोग रामराज्य समझते हैं। पंडित जी (जवाहरलाल नेहरू) ने हमें धर्मनिरपेक्षता के बारे में जो बताया वह उस धर्मनिरपेक्षता से अलग है जो अब लोग समझते हैं। धर्मनिरपेक्षता स्वीकार्यता से हट कर सहिष्णुता की ओर और सहिष्णुता से हट कर एक असहज सहअस्तित्व की ओर बढ़ गई है।’
‘दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया है इसलिए सही लग रहा है फैसला’
वहीं, अयोध्या में मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर चिदंबरम ने कहा कि समय के साथ दोनों पक्षों ने इस निर्णय को स्वीकार कर लिया है। दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार कर लिया है इसीलिए यह एक सही फैसला बन गया है। लेकिन यह सही फैसला बिलकुल नहीं है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हमेशा हमें परेशान करता रहेगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और एपीजे अब्दुल कलाम के इस देश में… आजादी के 75 साल बाद भी हमें यह कहने में शर्म नहीं आ रही है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को किसी ने नहीं ढहाया था।
‘नो वन किल्ड जेसिका की तरह किसी ने बाबरी मस्जिद नहीं ढहाई!’
चिदंबरम ने कहा कि छह दिसंबर 1992 को जो भी हुआ था वह पूरी तरह से गलत था। इसने हमारे संविधान का अपमान किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चीजों में एक अनुमान के मुताबिक बदलाव देखा गया। एक साल के अंदर ही ढांचा विध्वंस में जो भी लोग शामिल थे उन्हें बरी कर दिया गया। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे में नो वन किल्ड जेसिका’ की तरह किसी ने बाबरी मस्जिद नहीं ढहाई, ऐसी स्थिति हो गई। उन्होंने कहा कि हमें संवेदनशील होना चाहिए और धार्मिक उन्माद से अधिक आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।