प्लॉट घोटाला: पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

प्लॉट घोटाले में फंसे पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता मनप्रीत सिंह बादल के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। पंजाब विजिलेंस ने सोमवार को बादल गांव स्थित उनके आवास पर छापा मारा था। अदालत मामले की सुनवाई अब 12 अक्तूबर को करेगी। 

इससे पहले मनप्रीत बादल ने बठिंडा कोर्ट में दायर अग्रिम जमानत की अर्जी मंगलवार को वापस ले ली।अपनी कोठी बनाने के लिए बठिंडा मॉडल टाउन फेस-1 में बीडीए के अधिकरियों से मिलीभगत कर कामर्शियल प्लॉट को आवासी बनाकर खरीदने के मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने मनप्रीत बादल के खिलाफ केस दर्ज किया है। 

बादल के साथ ही एक पीसीएस अधिकारी समेत छह लोगों पर धोखाधड़ी करने समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है। इसी मामले में मनप्रीत बादल ने बठिंडा कोर्ट में अग्रिम जमानत दायर की थी। उनकी अर्जी की सुनवाई एडिशन सेशन जज राम कुमार गोयल की अदालत में होनी थी, लेकिन मंगलवार को मनप्रीत बादल के वकील एडवोकेट सुखदीप बिंदर ने अग्रिम जमानत की अर्जी कोर्ट से वापस ले ली है। विजिलेंस ने सभी आरोपियों के खिलाफ एलओसी भी जारी कर दी है।

 बिना डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग कर किया घोटाला  
प्लॉट घोटाले में विजिलेंस ने जांच में पाया गया कि मनप्रीत बादल ने वर्ष 2018 से 2021 तक वित्त मंत्री रहते समय राजनीतिक दबाव के चलते माॅडल टाउन फेज 1 में 1560 वर्ग गज के दो महंगे प्लाट कम दाम पर खरीदे थे। इस कारण सरकार को करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ। पूर्व वित्त मंत्री ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए बठिंडा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीडीए) के अधिकारियों व कर्मियों के साथ मिलीभगत कर वर्ष 2021 में प्लाटों की बोली दौरान आम लोगों को गुमराह करते हुए फर्जी नक्शे अपलोड करवाए गए थे, जिससे बोली प्रक्रिया में आम लोगों की भागीदारी को रोका जा सके। 

अपलोड किए नक्शे में प्लाट नंबर 725 सी 560 गज, 726 जो 1000 गज को भी रिहायशी के बजाय व्यापारिक दिखाया गया था और प्लाटों के नंबर ऑनलाइन ई-आक्शन पोर्टल पर पाए नक्शे में नहीं दिखाए गए थे। इन प्लाटों की नीलामी के लिए बीडीए की महिला अधिकारी बलविंदर कौर के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षरों का उपयोग किया था।

एक ही आईपी एड्रेस से तीन से लगाई ऑनलाइन बोली
विजिलेंस की जांच के अनुसार राजीव कुमार, विकास अरोड़ा और अमनदीप सिंह नामक तीनों बोलीकारों ने एक ही वकील संजीव कुमार की ओर से एक ही आईपी एड्रेस से बोली लगाई गई। उक्त प्लाट कम दाम पर खरीद कर मनप्रीत बादल, सुपरिंटेंडेंट पंकज, राजीव कुमार, विकास अरोड़ा, अमनदीप सिंह और उस समय के बीडीए प्रशासक बिक्रमजीत सिंह शेरगिल ने साजिश के तहत सरकार के साथ धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया था। 

पूर्व वित्त मंत्री ने अलॉटमेंट पत्र मिलने से पहले अपने जान-पहचान वाले बोलीकारों से एग्रीमेंट के जरिये दोनों प्लॉट खरीद लिए थे। मनप्रीत बादल ने सफल बोलीकारों को 25 फीसदी बयाना रकम पहले ही ट्रांसफर कर दी थी। जब मनप्रीत बादल ने दोनों प्लॉट फर्जी तरीके से खरीद कर लिए तो उसके बाद मनप्रीत बादल ने मकान बनवाने के लिए मकान की नींव रखने संबंधी एक बड़ा समागम करवाया था। इस समागम में उस समय के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत कांग्रेस के अन्य नेता पहुंचे थे।

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