अफ्रीकन की समस्याओं को वैश्विक पटल पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा फैसला लिया है। पीएम मोदी ने जी-20 देशों के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्ताव में उन्होंने कहा कि अफ्रीकी यूनियन को जी-20 की स्थाई सदस्यता दे सकते हैं। बता दें, इस साल के अंत में भारत जी-20 बैठक की अध्यक्षता करेगा। अफ्रीकी यूनियन में 55 देशों का एक समूह है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सलाहकारों ने पीएम के कदम को सराहा
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली में आयोजित होने वाले जी-20 सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता प्रदान की जाए। बता दें, संघ ने पूर्ण सदस्यता के लिए पीएम मोदी से अनुरोध किया था। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सलाहकारों के अनुसार, यह न्यायोचित और निष्पक्ष प्रस्ताव है। वैश्विक समावेश और सहयोग को स्थापित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी विशेष रूप से जी-20 में अफ्रीकी देशों को शामिल कराने को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत ने जनवरी में विकासशील देशों की समस्याओं और चुनौतियों को सामने रखने के लिए वॉसस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी की।
क्या है जी-20
सितंबर 1999 में जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों ने जी-20 का गठन एक अंतरराष्ट्रीय मंच के तौर पर किया था। जी20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच है। जी-20 देशों के पास ही वैश्विक जीडीपी का 85 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं 75 प्रतिशत से अधिक वैश्विक व्यापार भी जी-20 देशों के पास ही है। विश्व की कुल आबादी का दो तिहाई प्रतिनिधित्व जी-20 देश करते हैं। इसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है। जी-20 के नेता वर्ष में एक बार साथ मिलते हैं और बैठक करते हैं।
सदस्य देशों के नाम
- अर्जेंटीना
- ऑस्ट्रेलिया
- ब्राजील
- कनाडा
- चीन
- फ्रांस
- जर्मनी
- भारत
- इंडोनेशिया
- इटली
- जापान
- रिपब्लिक ऑफ कोरिया
- मैक्सिको
- रूस
- सऊदी अरब
- दक्षिण अफ्रीका
- तुर्की
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूरोपीय संघ