प्रयागराजः आजाद पार्क में अवैध अतिक्रमण किये गए ध्वस्त

प्रशासनिक अधिकारियों ने शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद पार्क से एक मस्जिद, 3 मजार व 14 कब्रें रातों रात ध्वस्त कर दी। मंदिर के सामने से भी अवैध निर्माण को गिरा दिया गया। गुरुवार दोपहर शुरू हुई कारवाई शुक्रवार की भोर तक चलती रही। इस दौरान कंपनी गार्डेन को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। यहां तक की मीडियाकर्मियों को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार रात प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) व जिला प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई में आजाद पार्क में 1975 के बाद किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया है। इस पूरी कार्रवाई में एक पुरानी मजार के बगल में बनी तीन छोटी मजार, ज्ञान वृक्ष मंदिर के आगे बनाए गए अवैध निर्माण व एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया है। वहीं जिला प्रशासन व पीडीए ने अतिक्रमण ध्वस्त करने के बाद उस स्थान पर तीन-तीन फीट के पेड़ भी लगा दिये हैं।

12 से भी अधिक अतिक्रमण किये गए ध्वस्त

जिला प्रशासन व पीडीए की ओर से की गई कार्रवाई में आजाद पार्क के अंदर 12 से भी अधिक स्थानों पर हुए अतिक्रमण को जमींदोज कर दिया गया है। दैनिक भास्कर की ओर से किये गए रियलिटी चेक में 12 से भी अधिक अतिक्रमण को ध्वस्त करने के सबूत पाए गए। जहां एक तरफ मंदिर, मस्जिद एवं मजार से अतिक्रमण हटाया गया है, वहीं दूसरी ओर 14 पुरानी कब्रगाह भी हटा दी गई हैं। इसके अलावा पार्क में स्थित हिन्दुस्तान एकेडमी की ओर से किये गए अतिक्रमण व लेडीज क्लब की ओर से किया गया अवैध कब्जा भी ध्वस्त कर दिया गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर को दिया था आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर को आदेश दिया था कि प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क में 1975 के बाद बने सभी अवैध निर्माण गिरा दिए जाएं। कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लीज लैंड पर 1975 से पहले बने निर्माण को छोड़कर शेष सभी निर्माण अवैध हैं। इस कार्रवाई के लिए कोर्ट ने अधिकारियों को दो दिनों की मोहलत दी थी। आज दूसरा दिन है। गुरुवार की देर रात चली कार्रवाई में प्रशासनिक अमले ने काफी हद तक अतिक्रमण हटा दिया है।

आठ अक्टूबर को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 1975 के बाद सभी अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में पीडीए अधिकारियों को हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अवैध निर्माण ध्वस्त कर आठ अक्टूबर को हलफनामा दाखिल करें। इसी के तहत पीडीए ने कार्रवाई की।

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