खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके नौ साथियों ने असम की डिब्रूगढ़ जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। वहीं अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर भी पति के समर्थन में जेल के बाहर धरने व अनशन पर बैठ गई है। अमृतपाल और उसकी पत्नी किरण दीप कौर का कहना है कि सरकार वकील से मिलने की इजाजत नही दे रही है। वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने एसजीपीसी के लीगल सेल को मामले में हस्तक्षेप कर वकीलों को मिलने की स्वीकृति दिलवाने की हिदायत दी है। उधर, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी जेल में बंद युवाओं को वकीलों से न मिलने देने की निंदा की है।
अमृतपाल को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत पंजाब से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद असम जेल भेज दिया गया था। पत्नी किरणदीप कौर का कहना है कि अमृतपाल और उनके साथियों को उनके वकील राजदेव सिंह से नहीं मिलने दिया जा रहा है। जबकि उन्हें वकील से मिलने का पूरा हक है। अमृतपाल और उनके साथी पांच दिनों से जेल के अंदर हड़ताल कर रहे हैं, पांच दिन से इस मामले का कोई हल नहीं निकला है।उल्लेखनीय है कि अमृतपाल ने 28 सितंबर को अमृतसर के डीसी के खिलाफ डिब्रूगढ़ जेल अधीक्षक को पत्र लिखा था। इसमें लिखा था कि अमृतसर के डीसी अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके वकील राजदेव सिंह खालसा को मिलने आने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। जबकि उनके वकील ने सभी शर्तों को पूरा किया है।
अमृतपाल और उसके साथियों की डिब्रूगढ़ जेल में यह दूसरी हड़ताल है। कुछ समय पहले भी उसने जेल में भूख हड़ताल की थी। आरोप था कि उसके खाने में जानबूझ कर तंबाकू मिलाई जा रही है।
मामला होम सेक्रेटरी को भेजा: डीसी
अमृतसर के डीसी अमित तलवाड़ ने कहा कि बंदियों को उनकी इच्छा के वकील से मिलने की पूरी अनुमति है। अमृतपाल पहले एडवोकेट नवकिरन सिंह से मिल चुका है। अब वह राजदेव सिंह खालसा से मिलने की अनुमति मांग रहा है। नए वकील से मिलने देने का मामला गृह सचिव को भेजा गया है।
मानवीय अधिकारों का उल्लंघन: ज्ञानी रघबीर सिंह
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि यह जेल में बंद युवाओं के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। श्री अकाल तख्त पर यह भी शिकायतें आई हैं कि देश की अलग-अलग जेलों में बंद सिख कैदियों की बीमारियों का इलाज भी सही ढंग से नही करवाया जा रहा है। जत्थेदार ने एसजीपीसी को मामले की पैरवी करने के आदेश देते हुए कहा कि इस संबंध में युवाओं और उनके पारिवारिक सदस्यों की हर तरह से मदद की जाएं।
परिवारों व वकीलों को मिलने से रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण: धामी
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि डिब्रूगढ़ जेल में बंद युवाओं को परिवारों व वकीलों से नहीं मिलने दिया जा रहा। उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़ रही है। पंजाब सरकार को इस मामले पर तुरंत अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर को निर्देश जारी करना चाहिए और असम जेल में बंद सिखों के परिवारों और वकीलों को आवश्यक अनुमति देनी चाहिए।