बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद शुरू हुई सियासी घमासान थमने नाम नहीं ले रहा। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब सीट से भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने बड़ा आरोप लगा दिया है। उन्होंने आरोप कि जातीय गणना की रिपोर्ट के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा किया गया है। उनके घर जनगणना के लिए एक टीम आई थी,लेकिन वह गेट से वापस चली गई। यहां तक कि गणना करने वाले ने न उनसे मुलाकात की और न ही उनका हस्ताक्षर नहीं लिया। वह पटना साहिब के सांसद हैं। जब उनके साथ ऐसा हुआ है तो बिहार के अन्य लाखों लोगों के साथ इसी तरह का फर्जीवाड़ा हुआ होगा।
सर्वे टीम न मुझसे मिली और न ही अंगूठे का निशान लिया
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि रिपोर्ट से पहले कहा गया था कि परिवार के प्रधान का हस्ताक्षर और अंगूठे का निशाना लगाने की बात कही थी। सर्वे टीम न मुझसे मिली और न ही अंगूठे का निशान लिया। रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि जाति गणना में बिना सभी लोगों से मिले रिपोर्ट बना दी गई और कई जातियों की संख्या को कम बता दिया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह क्या है और क्या हो रहा है समझ नहीं आ रही है। अतिपिछड़ा वर्ग को खंडित करने का काम किया गया है, यह दुखद है। भाजपा नीतीश कुमार से मांग करती है कि आप यह डाटा सार्वजनिक करें कि आपकी सर्वे टीम कितने परिवार से मिली। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब मेरी जाति (कायस्थ) की संख्या बताई गई तो मुझे बहुत हंसी आई। बिहार सरकार पटना, गया, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, छपरा, सीवान, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार शहर का ईमानदारी से गणना करवाएं। आपको परिणाम मिल जाएगा।
दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा
वहीं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षण और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्रिपरिषद का गठन करें। इससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दरी बिछाने वाला जमाना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा। उन्होंने कहा कि 1931 ग्वाला जाति की संख्या 4.31 प्रतिशत थी और आज 14 प्रतिशत हो गया। मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर यादव जाति की संख्या इतनी कैसे बढ़ गई। और, अन्य जातियों की जनसंख्या में कमी कैसे हो गई?